अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बार-बार तर्क दिया कि यह विकास और प्रगति में बाधा था। केंद्र ने कहा कि 5 अगस्त 2019 के फैसले के बाद जम्मू और कश्मीर में निवेश आना शुरू हो गया है। जनवरी 2021 में जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा नई औद्योगिक नीति की घोषणा के बाद से लगभग तीन वर्षों में राज्य को 42 इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में 84,544 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। हालांकि इन प्रस्तावों के काम की प्रगति थोड़ी धीमी रही है। अब तक 414 इकाइयों (जम्मू में 266 और कश्मीर में 148) को रजिस्टर्ड किया गया है, जिनका वास्तविक निवेश 2,518 करोड़ रुपये से अधिक है।
हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में जम्मू कश्मीर की क्षमता का बहुत कम उपयोग किया गया है। जम्मू-कश्मीर में होटल स्थापित करने के लिए अब तक केवल 87 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए हैं। सूत्रों ने कहा कि उपयुक्त भूमि की कमी के कारण चीजें धीरे-धीरे आगे बढ़ी हैं। दिल्ली में एक अधिकारी ने कहा, “इस क्षेत्र में, उचित स्थान पर भूमि का प्रावधान उद्योग की एक आवश्यकता है। एक होटल को एक अच्छे लोकेशन की आवश्यकता होती है। इस मोर्चे पर चीजें तेज गति से आगे नहीं बढ़ी हैं। घाटी में कमरों की हमेशा कमी रहती है।”
सरकार G20 कार्यक्रम की पर्यटन बैठक के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को कश्मीर ले गई थी और बताया था कि कश्मीर में पर्यटन कैसे फलफूल रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में इस बात पर बहस करते हुए कि अनुच्छेद 370 को हटाना कश्मीर के लिए कितना फायदेमंद था कहा, “अब लोगों को एहसास हो गया है कि उन्होंने क्या खोया है। अब निवेश आ रहे हैं क्योंकि पुलिसिंग केंद्र के पास है। पर्यटन शुरू हो गया है। 16 लाख पर्यटक आए हैं।
प्रस्तावित निवेश का 60 प्रतिशत प्रस्ताव (50,538 करोड़ रुपये) जम्मू के लिए हैं और बाकी कश्मीर के लिए हैं। प्रस्तावों की संख्या देखें तो कुल 6,117 में से केवल 1,551 या 25 प्रतिशत प्रस्ताव जम्मू के लिए हैं। बाकी 4,566 प्रस्ताव कश्मीर के लिए हैं और इनमें 34,006 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। सरकार को उम्मीद है कि इससे 1 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी।
जम्मू-कश्मीर में व्यवसायों को आकर्षित करने के साथ प्रशासन तेजी से लैंडबैंक से बाहर हो रहा है। यहां तक कि निवेश के लिए 28,400 करोड़ रुपये की केंद्रीय प्रोत्साहन योजना भी अपनी प्रतिबद्धता के दायरे तक पहुंच गई है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि प्रोत्साहन प्रतिबद्धता को बढ़ाकर 75,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव केंद्र के पास एक साल से अधिक समय से लंबित है।
कुल 1,767 इकाइयों को 11,861 कनाल भूमि आवंटित की गई है। इनमें से जम्मू में 530 इकाइयों को 7,295 कनाल जमीन आवंटित की गई है और बाकी 1,237 इकाइयों के लिए कश्मीर में जमीन दी गई है। 20,000 कनाल भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसमें समय लग सकता है।
हेल्थकेयर एक प्रमुख क्षेत्र है जहां प्रशासन महत्वपूर्ण निवेश की उम्मीद करता है। इस क्षेत्र में उसे पहले ही 7,700 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्ताव मिल चुके हैं। बिहार के मिल्ली ट्रस्ट, अरीशा रॉयल हॉस्पिटल, यूनिवर्सल हेल्थ ग्रुप और अपोलो ने अकेले प्रस्तावित निवेश के मुकाबले प्रीमियम में 1,200 करोड़ रुपये से अधिक जमा किए हैं।
पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि जम्मू और कश्मीर पर्यटन विकास निगम (JKTDC) 30 वर्षों के लिए पीपीपी मॉडल पर अपनी 11 संपत्तियों को आउटसोर्स कर रहा है और टेंडर्स पहले ही जारी किये जा चुके हैं। प्रशासन को इससे 150 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है।