मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपमानजनक हार से आहत कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने शुक्रवार को राज्य के नेताओं के साथ हार के कारणों की समीक्षा की। जहां एक तरफ पार्टी के नेताओं ने कहा कि बैठक में किसी तरह की खींचतान नहीं थी वहीं सूत्रों की मानें तो दोनों राज्यों में शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। मध्य प्रदेश में चुनावी अभियान का नेतृत्व जहां पीसीसी अध्यक्ष कमल नाथ और दिग्विजय सिंह कर रहे थे वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के निवर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद अहम भूमिका में थे। सूत्रों ने कहा कि राज्य के पार्टी नेताओं ने आत्मसंतुष्टि, एकजुटता की कमी को अहम कारण बताया है। मध्यप्रदेश में पीसीसी चीफ कमलनाथ पर पद छोड़ने का दबाव है और सूत्रों का कहना है कि वह खुद भी इस्तीफा देने का मूड में दिखाई दे रहे हैं। दोनों राज्यों के नेताओं के साथ हुई बैठक में अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी शामिल रहे।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, राज्य प्रमुख के रूप में बघेल के नेतृत्व में, पार्टी ने 2018 में अपनी अब तक की सबसे ज्यादा 68 सीटें दर्ज की थीं, जो उपचुनाव के बाद 71 सीटों तक पहुंच गईं थी। लेकिन हाल के चुनावों में पार्टी 35 सीटों पर आ गई। यह नंबर 2003 में राज्य के गठन के बाद से सबसे कम है। बैठक में भूपेश बघेल, टीएस सिंह देव, पूर्व मंत्री उमेश पटेल, मोहन मरकाम, पीसीसी प्रमुख दीपक बैज, सत्यनारायण शर्मा, मोहम्मद अकबर, मोहन मरकाम और धनेंद्र साहू सहित छत्तीसगढ़ के कुल 11 नेता शामिल हुए। बैठक के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस चुनाव प्रभारी कुमारी शैलजा ने मीडिया कर्मियों से कहा कि पार्टी की महिला उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन किया है और पार्टी लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा, ”हमने 18 महिलाओं को टिकट दिया, जिनमें से 11 जीतीं। मीडिया एजेंसियों और सभी ने कहा कि हम छत्तीसगढ़ में जीत रहे हैं, और कुछ हद तक वे सही थे क्योंकि हमारे वोट प्रतिशत में ज्यादा बदलाव नहीं आया। ऐसे बहुत से कारण हैं जिनकी समीक्षा की जा रही है। हमने जनता का भरोसा नहीं खोया है, हम लोकसभा चुनाव में अधिक सीटें जीतेंगे।”
रायपुर में पार्टी के एक नेता बृहस्पत सिंह, जिन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया था, हार के लिए प्रभारी कुमारी शैलजा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बृहस्पत सिंह ने कहा, ”बाईस टिकटें काट दी गईं, जिससे नकारात्मक प्रभाव पड़ा। किसी भी तरह नियंत्रण नहीं था, पार्टी का काम शून्य था। कई जगह पक्षपात भी हुआ।” निवर्तमान मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने भी बिना नाम लिए छत्तीसगढ़ में शीर्ष नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया।
मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ”हमने पार्टी की हार के कारणों पर खुलकर चर्चा की और नेताओं ने पार्टी की कमियों का विश्लेषण किया है। सभी नेताओं ने आलाकमान को संगठन को मजबूत करने के बारे में निर्णय लेने के लिए आश्वस्त किया है। हमने उनसे मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने और अगली बैठक के लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त करने का आग्रह किया है ताकि वह विपक्ष के नए नेता का चुनाव कर सकें। इससे पहले कमलनाथ के इस्तीफे की खबरें सामने आई थीं जिसका पार्टी ने खंडन किया था।