हिंदी पट्टी तीन राज्यों में बीजेपी को बंपर जीत मिली है। एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई है। लेकिन नतीजे आने के चार दिन बाद भी किसी राज्य को अपना नया मुख्यमंत्री नहीं मिल पाया है। अभी भी सीएम कौन वाली रेस जारी है। राजस्थान से लेकर एमपी तक बस कयासबाजी का दौर चल रहा है, लेकिन मोदी-शाह के मन में क्या है, ये किसी को क्लियर नहीं।
राजस्थान की बात करें तो सीएम फेस को लेकर सबसे ज्यादा पेंच यहीं पर फंसा हुआ है। ये एक ऐसा राज्य है जहां पर बीजेपी को बहुत संभलकर कोई फैसला लेना पड़ेगा। वसुंधरा राजे दो बार की मुख्यमंत्री हैं, अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं और इस समय विधायकों को अपने पाले में करने की हर संभव कोशिश कर रही हैं। सामने से उनकी तरफ से कहा जा रहा है कि वे हाईकमान के साथ हैं, लेकिन अलग-अलग तरीके से शक्ति प्रदर्शन जारी है।
गुरुवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी वसुंधरा राजे की एक घंटे तक मुलाकात चली। बताया जा रहा है कि इस मीटिंग का आधे से ज्यादा समय यहीं समझाने में चला गया कि वे भी बीजेपी की अनुशासित नेता हैं और उन्हें हाईकमान की कद्र है। अब ये सब भी इसलिए करना पड़ा क्योंकि ऐसी खबर आई कि राजस्थान में कुछ विधायकों को रिजॉट में रखा गया है। ये अलग बात है कि वसुंधरा ने इन बातों को मीटिंग के दौरान खारिज कर दिया है। अभी के लिए उस मुलाकात के बाद नड्डा ने भी गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा की।
वैसे एक तरफ अगर वसुंधरा राजे, बीजेपी अध्यक्ष से मिलीं, तो वहीं महंत बालकनाथ ने भी अमित शाह से एक घंटे के करीब बात की। इस समय राजस्थान में सीएम रेस में गजेंद्र शेखावत, वसुंधरा राजे, अश्विनी वैष्णव, ओम बिरला, बालकनाथ, दीया कुमारी जैसे नाम चल रहे हैं।
मध्य प्रदेश पर आएं तो वहां भी स्थिति अभी तक क्लियर नहीं हुई है। गुरुवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी जेपी नड्डा से मिलने का वक्त मांगा है। अब उन्होंने वैसे को खुद को इस सीएम रेस से बाहर रखा है, लेकिन इन अटकलों के बीच मुलाकात के लिए समय मांगना सभी को असमंजस में डाल गया है। इसके ऊपर गुरुवार को ही नरेंद्र सिंह तोमर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया और अब अर्जुन मुंडा को कृषि मंत्री बना दिया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या एममी में नरेंद्र सिंह तोमर भी मुख्यमंत्री बन सकते हैं?
वैसे एमपी में अगर चर्चा नरेंद्र सिंह तोमर की है, तो प्रह्लाद सिंह पटेल भी इस रेस में पीछे नहीं हैं। वे भी एमपी का एक बड़ा ओबीसी चेहरा हैं और उनको लेकर भी पार्टी के अंदर मंथन चल रहा है। वे भी इस समय अपना इस्तीफा दे चुके हैं। लेकिन दोनों नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद सिंह पटेल के सामने शिवराज सिंह चौहान की बड़ी चुनौती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शिवराज भी ओबीसी समाज से आते हैं और उनकी लोकप्रियता राज्य में काफी ज्यादा है।
छत्तीसगढ़ में भी इस समय सीएम रेस पर सस्पेंस चल रहा है। रेणुका सिंह से लेकर अरुण साव के नाम पर सबसे ज्यादा चर्चा चल रही है। चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी ने कई मौकों पर कहा था कि छत्तीसगढ़ को एक ओबीसी सीएम दिया जा सकता है, तो उसी वजह से विकल्प भी उसी के इर्द-गिर्द दिख रहे हैं।