भारत ने 2047 तक खुद को विकसित देश कहलाने का मन बना लिया है। मन बनाया है तो कदम भी उस ओर चल पड़े हैं। हर क्षेत्र में इतिहास रचा जा रहा है, कीर्तिमान ऐसे स्थापित हो रहे हैं कि पूरी दुनिया उन्हें ही अब उच्चतम मापदंड मानने को तैयार दिख रही है। साल 2023 में जिस तरह से इस भारत वर्ष ने तरक्की की है, जिस तरह से हर फील्ड में खुद को साबित किया है, ये कहना गलत नहीं कि सही मायनों में सबसे आगे कहे हिंदुस्तानी।
एंटरटेनमेंट से लेकर खेल जगत तक, अंतराष्ट्रीय राजनीति से लेकर विज्ञान तक, शायद ही कोई क्षेत्र बचा होगा जहां पर इस साल भारत का डंका ना बजा हो। हर फील्ड में देश इस साल विजयी रहा है, ऐसे संकल्प के साथ आगे बढ़ा है कि तमाम चुनौतियां धरी की धरी रह गईं और देश अपने उदेश्यों की ओर फुल स्पीड से कूच कर गया। 2023 में वैसे तो कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनका जिक्र किया जाना चाहिए, लेकिन क्षेत्रों के लिहाज कुछ ऐसे कारनामे हुए हैं जो भारत को विकसित बनाने में बड़ी भूमिका निभाने जा रहे हैं। एक नजर भारत के 2023 वाले सबसे कीर्तिमानों पर-
देश की अर्थव्यवस्था में मनोरंजन जगत की अपनी अहमियत है। फिल्म देखने से लेकर फिल्म बनाने तक, जो भी खर्चा होता है, जो भी पैसा लगता है, उसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। देश की तरक्की के साथ ही मनोरंजन जगत की तरक्की भी जुड़ी हुई है। इस साल तो एस राजामौली की फिल्म RRR ने पूरे देश को झूमने पर मजबूर कर दिया। उस फिल्म ने नाटू-नाटू गाने के लिए ऑस्कर्स अपने नाम किया। ऑस्कर्स कोई छोटा अवॉर्ड नहीं है, पूरी दुनिया की जो सर्वशेष्ठ फिल्में रहती हैं, उन्हें इस अवॉर्ड से नवाजा जाता है और यहां पर भारत की एक फिल्म को उसी ऑस्कर्स का तमगा दिया गया।
इसके साथ साथ प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा की शॉर्ट फिल्म द एलिफेंट व्हिस्परर्स ने बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म का अवॉर्ड दिया गया। यानी कि इस साल भारत के लिए ऑस्कर से दो बड़ी खुशखबरी आईं।
साल 2023 तो भारत के खेल जगत के लिहाज से भी बहुत खास रहा। अगर क्रिकेट की दुनिया से विराट कोहली के 50 वनडे शतक के इतिहास ने सभी को खुश कर दिया तो वहीं दूसरी तरफ एशियन गेम्स में इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने अपने पदक की संख्या 100 पार की। इस बार भारत ने वासे भी 100 पार का लक्ष्य रखा था जिसे काफी आसानी से खिलाड़ियों ने पाने का काम कर दिया। इस बार भारत ने एशियन गेम्स में 25 गोल्ड, 35 सिल्वर, 40 ब्रॉन्ज अपने नाम किए। बड़ी बात ये रही कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने भी इन गेम्स में गोल्ड पर अपना नाम जमाया। इसके अलावा शूटिंग से लेकर टेनिस तक में भारत के नाम इस बार स्वर्ण पदक रहा।
इस साल जी20 समिट का आयोजन भी भारत में हुआ और उस एक कार्यक्रम ने पूरी दुनिया को भारत की ताकत, उसकी धमक दिखा दी। किसने सोचा था कि भारत में आयोजित होने वाले जी20 समिट में सर्वसहमति से पहले ही दिन दिल्ली डिक्लेरेशन पर बात बन जाएगी और इसे पारित कर दिया जाएगा। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कितने मतभेद थे, पिछली बार ब्राजील में भी इसी वजह से डिक्लेरेशन पास नहीं हो पाया था। लेकिन भारत ने वो कमाल भी कर दिखाया। इसके ऊपर जिस तरह से जी20 के स्वरूप को बदल जी21 कर दिया गया, उसने भी भारत की ताकत का अहसास सभी को करवा दिया।
असल में अफ्रीकी यूनियन को भी भारत ने जी20 समिट का हिस्सा बनवाया। ये एक वादा तो जो भारत के प्रधानमंत्री ने अफ्रीकी यूनियन के नेता से किया था। अब भारत में तो वचन सबसे बड़ा माना जाता है, ऐसे में सभी को साथ लेकर चला भी गया और एक और इतिहास अपने नाम किया गया। इसके अलावा जी20 समिट में ही भारत ने स्पाइस रूट का ऐलान कर दिया। भारत से यूरोप तक जिस ट्रेड रूट को बनाने की संकल्पना पेश की है वो पश्चिम एशिया से होकर ही गुजरेगा।
आजादी के बाद से अगर सबसे ज्यादा तकनीक में कहीं खुद को एडवांस किया गया है तो वो स्पेस का क्षेत्र है। जो देश किसी जमाने में साइकिल पर अपना रॉकेट लादकर लेकर जाता था, वो ही देश अब पूरी दुनिया को दिखा रहा है कि चांद पर सटीक लैंडिंग कैसे की जाती है। कहने को चंद्रयान 2 सफल नहीं हो पाया था, लेकिन उसने भी लगातार जरूरी जानकारी साझा की। अब तो भारत पहला देश बन चुका है जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की है। ये कमाल भी उस समय भारत ने किया जब एक रूसी जहाज उसी उदेश्य के साथ गया, लेकिन समय से पहले ही फेल हो गया।
अब इस समय तो भारत बुलंदी के झंडे स्पेस के दूसरे प्रोजेक्ट्स के जरिए भी छू रहा है। आदित्य एल 1 से लेकर गगनयान तक इतिहास के नए पन्ने लिखने को एकदम तैयार बैठा है। यानी कि इस क्षेत्र में आने वाले सालों में भी भारत का ही स्वर्णिम अध्याय देखने को मिलने वाला है।
भारत में वैसे तो इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर अलग-अलग सरकारों को क्रेडिट देना जरूर बन जाता है। बॉर्डर एरिया पर सड़क निर्माण करना हो या फिर कोई दूसरा नेशनल हाईवे बनाना हो, इस काम के लिए देश की सेना तुरंत तैयर रहती है। सीमा वाले इलाकों में भारत ने अलग ही स्पीड में सारा काम किया है। भारतमाला प्रोजेक्ट के जरिए भी हजारों किलोमीटर का सड़क जाल बिछाया जा चुका है।