Pranab My Father: देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की ‘Pranab My Father’ किताब इन दिनों काफी सुर्खियों में है। जिसमें उन्होंने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उनके खुलासे से कांग्रेस के अंदर सियासी हलचल पैदा हो गई है। शर्मिष्ठा ने बुधवार को एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान कई अपने पिता की पीएम मोदी से जुड़े पहलुओं को साझा किया।
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बताया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बीच एक अलग ही रिश्ता था। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी मेरे पिता का बहुत सम्मान करते थे और जब भी मिलते थे तो वे प्रणब दा के हमेशा पैर छूते थे। उन्होंने कहा कि यह एक ईमानदारी और खुलेपन की विशेषता है।’
पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा ने बताया कि जब उनके पिता राष्ट्रपति चुने गए थे, तो वे अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में बहुत स्पष्ट थे। उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा था कि भले ही वे अलग-अलग विचारधाराओं के हों, लेकिन वह शासन में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
शर्मिष्ठा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि उनकी अलग-अलग विचारधाराओं को देखते हुए यह बहुत अजीब बात थी। लेकिन, मुझे लगता है, यह रिश्ता वास्तव में कई साल पुराना है… यहां तक कि मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से भी पहले का।’
मुखर्जी ने कहा, ‘उन्होंने (पीएम मोदी) मुझे बताया कि वह एक साधारण पार्टी कार्यकर्ता के रूप में विभिन्न कार्यक्रमों के लिए दिल्ली आते थे और वह सुबह की सैर पर बाबा (प्रणब दा) से मिलते थे। उन्होंने मुझसे कहा कि बाबा हमेशा बहुत अच्छी तरह से बात करते थे। उनके मैं हमेशा पैर छूता था।’
शर्मिष्ठा ने कहा कि मुझे लगा कि यह बाबा की डायरियों में एक बहुत ही दिलचस्प याद थी। मुखर्जी, जो एक पूर्व कांग्रेस नेता भी हैं। उन्होंने अपने दिवंगत पिता की डायरियों में एक और प्रविष्टि के बारे में बात की।
प्रणब दा की बेटी ने आगे बताया, ‘जब मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार राष्ट्रपति से मिलने आए तो बाबा ने लिखा, ‘वह कांग्रेस सरकार और उसकी नीतियों के कटु आलोचक हैं… लेकिन निजी तौर पर वह हमेशा मेरे पैर छूते हैं। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें खुशी मिलती है, मुझे समझ नहीं आता ऐसा क्यों…’। शर्मिष्ठा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनसे इस किस्से की पुष्टि की है।
शर्मिष्ठा ने कहा, ‘राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच संबंध केवल व्यक्तिगत सम्मान पर नहीं बने थे। राष्ट्रपति के रूप में बाबा का मानना था कि निर्वाचित सरकार में हस्तक्षेप न करना भी उनकी ज़िम्मेदारी है।’
प्रणब मुखर्जी की बेटी ने कहा, ‘बाबा ने पहली ही बैठक में मोदी से बहुत स्पष्ट रूप से कहा, ‘हम दो अलग-अलग विचारधाराओं के हैं, लेकिन लोगों ने आपको जनादेश दिया है। मैं शासन में हस्तक्षेप नहीं करूंगा… यह आपका काम है, लेकिन अगर आपको किसी संवैधानिक मामले में मदद की ज़रूरत होगी, तो मैं वहां मौजूद रहूंगा।”