देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद अब नई सरकारों के गठन की तैयारियां जारी हैं। चुनाव खत्म होने के साथ विधानसभाओं की संरचनाओं में कई तरह के बदलाव आए हैं। जैसे कि पिछली बार के मुकाबले इस बार सदनों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है, साथ ही विधायक कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद अधिक उम्र के हैं और अमीर हैं। यह सब जानकारी उस हलफनामे से निकाली जिसे विधायकों ने नामांकन के दौरान पेश किया था। ऐसी कई जानकारी हम इस आर्टिकल में आपके सामने रख रहे हैं।
विधायकों के जरिए जमा किए गए हलफनामों के मुताबिक पांच में से चार राज्यों में विधायकों की औसत संपत्ति पिछली विधानसभा की तुलना में ज्यादा है। बात अगर आपराधिक मामलों से जुड़े विधायकों की तुलना पर करें तो इस बार ऐसे विधायक कम जिनपर आपराधिक मामले दर्ज हैं। चार राज्यों में पिछले चुनावों की तुलना में अधिक महिला विधायक हैं। चिंता की बात यह है कि इस बार शिक्षित विधायक पिछली बार की तुलना में कम हैं। आइए, राज्यवार आंकड़ों पर नजर डालते हैं।
छत्तीसगढ़
मध्यप्रदेश विधानसभा के नतीजे कांग्रेस के लिए एक बुरी याद की तरह रहने वाले हैं। आत्मविश्वास से भरे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में चुनाव में उतरी कांग्रेस को राज्य में हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा 90 सदस्यीय विधानसभा में 54 विधायकों के साथ सरकार बनाने वाली है जबकि कांग्रेस के पास 35 विधायक हैं। 2018 में कांग्रेस ने 68 सीटें जीती थीं और बीजेपी ने 15 सीटें हासिल की थीं। सभी विधानसभाओं के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ के औसत विधायक काफी कम अमीर हैं, लेकिन कम शिक्षित हैं।
यहां आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या में भारी गिरावट आई है, साथ ही महिला विधायकों की संख्या में प्रतिशत के हिसाब से बढ़ोतरी हुई है। शिक्षा के मामले में स्नातक डिग्री या उच्च योग्यता वाले विधायकों की हिस्सेदारी इस साल 66% से गिरकर 60% हो गई। इस बार आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या 24 से घटकर 17 हो गई है। जहां भाजपा के 12 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, वहीं कांग्रेस के 5 विधायक हैं। सदन में महिला विधायकों की संख्या 19 से ज्यादा है,जो सदन का 21% है, जिसमें 8 भाजपा से और 11 कांग्रेस से हैं। यह पिछले सदन में कुल 13 महिला विधायकों से ज्यादा है।
मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में सत्ता विरोधी लहर की उम्मीद के बावजूद भाजपा ने राज्य में 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की 66 सीटों की तुलना में 163 सीटों के साथ भारी जीत हासिल की। 2018 में कांग्रेस ने भाजपा के 109 की तुलना में 114 विधायकों के साथ सरकार बनाई थी। हालांकि विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद कमल नाथ के नेतृत्व वाला शासन दो साल से भी कम समय में गिर गया था। नई विधानसभा में आपराधिक मामलों वाले कम विधायक और अधिक महिला विधायक हैं, पिछले सदन की तुलना विधायक ज्यादा शिक्षित हैं। औसत विधायक भी अब पिछले सदन की तुलना में थोड़ा ज्यादा अमीर हैं। जहां आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या 94 से घटकर 90 हो गई है फिर भी ऐसे विधायक विधानसभा में एक तिहाई से ज्यादा हैं। नए सदन में 27 महिला विधायक हैं, जिनमें से 21 भाजपा से हैं, जो कुल विधायकों का 12% है। 2018 में 20 महिला विधायक थीं।
मिजोरम
ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) जिसे 2018 के चुनावों के बाद निर्दलीयों के गठबंधन के रूप में बनाया गया था, ने 40 सदस्यीय विधानसभा में 27 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया है। मौजूदा मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सत्ता से बाहर हो गया जिसने 10 सीटें जीती हैं। यहां भाजपा ने 2 सीटें जीतीं हैं और कांग्रेस ने 1 सीट जीती है । 2018 में एमएनएफ ने 27 विधायकों के साथ सरकार बनाई थी। यहां भी अमीर विधायकों की संख्या ज्यादा है। यहां शिक्षित और महिला विधायकों की संख्या भी बेहतर है। 2018 में कोई महिला विधायक नहीं चुने जाने के बाद, सदन में अब तीन महिला विधायक हैं – 2 ZPM से और 1 MNF की ओर से है। जीतने वाले जेडपीएम के केवल 3 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं, जो पिछली विधानसभा में 2 से ज्यादा हैं।
राजस्थान
राजस्थान में एक बार फिर मौजूदा सरकार को दोबारा नहीं चुनने का फैसला हुआ है। बीजेपी ने कांग्रेस को को हरा कर सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।200 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 115 सीटें मिली हैं वहीं कांग्रेस को 69 सीटें मिली हैं। जबकि निर्दलीयों ने 8 सीटें जीतीं हैं। भारत आदिवासी पार्टी के हिस्से 3 सीटें आई हैं। बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल ने 2-2 सीटें जीतीं और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने 1 सीट जीती है। नई विधानसभा में आपराधिक मामलों वाले विधायक ज्यादा हैं और महिलाएं कम हैं। सदन में महिला विधायकों की संख्या कम है, जो 2018 के चुनाव में 23 से घटकर 20 हो गई है, और 2013 और 2008 में चुनी गई 28 महिलाओं की तुलना में काफी कम है। 2018 में 46 विधायकों की संख्या थी जिनपर आपराधिक मामले दर्ज थे लेकिन अब यह संख्या 61 हो गई है। जिनमें भाजपा के 35 और कांग्रेस के 20 विधायक शामिल हैं। शिक्षा के मामले में 69% विधायकों के पास स्नातक या उच्च डिग्री है जो पिछली विधानसभा में 64% ज्यादा है।
तेलंगाना
तेलंगाना की 119 सदस्यीय विधानसभा में 64 सीटों के साथ कांग्रेस सरकार बना रही है जबकि बीआरएस को 39 सीटें हासिल हुई हैं। 2018 में बीआरएस ने 88 विधायकों के साथ सरकार बनाई थी जिसमें कांग्रेस सिर्फ 19 सीटें जीत पाई थी। बीजेपी ने 2018 के अपने 1 सीट के प्रदर्शन में सुधार करते हुए इस बार 8 सीटें जीतीं हैं, जबकि एआईएमआईएम ने पिछले चुनाव की तरह ही 7 सीटें हासिल की हैं।
पांच राज्यों में से तेलंगाना में सबसे अमीर विधायक हैं, इसके लगभग सभी विधायक करोड़पति हैं। आपराधिक मामलों में भी तेलंगाना विधानसभा में बाकी राज्यों के मुक़ाबले विधायकों की संख्या ज्यादा है। 82 विधायकों में से नई विधानसभा के दो-तिहाई से ज्यादा विधायक आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं, जो पिछले सदन में 73 से ज्यादा है। इनमें से 51 कांग्रेस से, 19 बीआरएस से, 7 बीजेपी से और 4 एआईएमआईएम से हैं। 10 विधायकों वाले नए सदन में महिला विधायकों की संख्या सिर्फ 8% है, जो पिछले चुनावों में 6 थी। जहां कांग्रेस के पास अब 6 महिला विधायक हैं, वहीं बीआरएस के पास 4 महिला विधायक हैं।