Government Blocks more than 100 Websites: केंद्र सरकार ने संगठित अवैध निवेश और पार्ट-टाइम जॉब के नाम पर धोखाधड़ी करने वाली 100 से अधिक वेबसाइट को बंद कर दिया है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इन वेबसाइट का संचालन विदेश में बैठे लोग कर रहे थे और इसमें ज्यादातर सेवानिवृत्त कर्मचारियों, महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को अंशकालिक नौकरी (पार्ट टाइम जॉब) देने की आड़ में निशाना बनाया गया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक इकाई ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (14सी) ने अपनी ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध जोखिम विश्लेषण इकाई’ (एनसीटीएयू) के जरिए पिछले साल संगठित निवेश और कार्य आधारित अंशकालिक नौकरी (टास्क बेस्ड पार्ट टाइम जॉब) के नाम पर धोखाधड़ी करने वाली वेबसाइट्स की पहचान की थी और उन्हें बंद किए जाने की सिफारिश की थी।
बयान में कहा गया है कि इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल कर इन वेबसाइट्स को बंद कर दिया है।
ऐसी जानकारी मिली है कि आर्थिक अपराध से संबंधित कार्य आधारित संगठित अवैध निवेश से जुड़ी इन वेबसाइट का संचालन विदेश में बैठे लोग कर रहे थे और ये डिजिटल विज्ञापन, चैट मैसेंजर और फर्जी खातों का इस्तेमाल कर रहे थे। बयान में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर आर्थिक धोखाधड़ी से मिली रकम का कार्ड नेटवर्क, क्रिप्टो करेंसी, विदेशी एटीएम निकासी और अंतरराष्ट्रीय फिनटेक कंपनियों के जरिए भारत से बाहर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) किया जा रहा था। 14सी देश में साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए गृह मंत्रालय की एक पहल है।
बयान में कहा गया है कि नागरिकों को ऐसे ठगों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे फोन नंबर और सोशल मीडिया खातों की सूचना तुरंत राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) को देने की सलाह दी गयी है। इसमें कहा गया है कि 1930 हेल्पलाइन और एनसीआरपी के जरिए कई शिकायतें मिली है और ये अपराध नागरिकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं और इससे डेटा सुरक्षा की चिंताएं भी जुड़ी हैं।
इन धोखाधड़ी में गूगल और मेटा जैसे प्लेटफॉर्म पर विदेशी विज्ञापनदाताओं द्वारा कई भाषाओं में टारगेटेड डिजिटल विज्ञापन दिए जाते हैं जिसमें ‘‘घर बैठे जॉब’’, ‘‘घर बैठे कमाई कैसे करें’’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। इन विज्ञापन पर क्लिक करने पर व्हाट्सऐप या टेलीग्राम के जरिए एक एजेंट पीड़ित के साथ बातचीत शुरू करता है जो उसे वीडियो लाइक और सबस्क्राइब करने, मैप रैटिंग जैसे कुछ काम करने को कहता है। काम पूरा करने के बाद पीड़ित को शुरुआत में कुछ कमीशन दिया जाता है तथा और कमाई के लिए पैसे को निवेश करने के लिए कहा जाता है। विश्वास हासिल करने के बाद जब पीड़ित बड़ी रकम निवेश करता है तो रकम को जब्त कर लिया जाता है और पीड़ित से ठगी की जाती है।
बयान में कहा गया है कि एहतियातन उपाय के तौर पर यह सलाह दी जाती है कि इंटरनेट पर प्रायोजित बहुत ज्यादा कमीशन देने वाली ऐसी किसी भी योजना में निवेश करने से पहले सावधानी बरतें। अगर कोई अनजान व्यक्ति किसी से व्हाट्सऐप या टेलीग्राम के जरिए संपर्क करता है तो बिना जांच-पड़ताल के वित्तीय लेनदेन करने से बचें। इसमें कहा गया है कि यूपीआई ऐप (UPI App) पर प्राप्तकर्ता के नाम का सत्यापन करें। अगर रिसीवर कोई अनजान व्यक्ति है तो यह फर्जी खाता हो सकता है और योजना फर्जी हो सकती है। इसी तरह, उस स्रोत की पहचान करें जहां से शुरुआती कमीशन प्राप्त होता है। बयान के अनुसार, नागरिकों को अनजान खातों से लेनदेन करने से बचना चाहिए क्योंकि ये न केवल धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) बल्कि आतंकवाद के लिए वित्त पोषण में भी संलिप्त हो सकते हैं।
फिनटेक फर्म जैसे LazyPay, IndiaBulls Home Loans और Kissht का नाम ब्लॉक की गई वेबसाइट में शामिल हैं। लिस्ट के मुताबिक, MeitY ने lazypay.in को ब्लॉक करने के ऑर्डर जारी किए थे। बता दें कि यह वेबसाइट डच इन्वेस्टमेंट फर्म Prosus की सब्सिडियरी है।