भारत और अमेरिका के बीच हुई पांचवीं वार्षिक टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान एक महत्त्वपूर्ण फैसला हुआ। भारत-अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच हुई इस बैठक में फैसला लिया गया कि भारत संयुक्त समुद्री बल (सीएमएफ) की पूर्ण सदस्यता लेगा। संयुक्त समुद्री बल का नेतृत्व अमेरिका करता है और इसलिए ये दिलचस्प है कि भारत ने एक ऐसे सुरक्षा बल में शामिल होने का फैसला किया है, जिसका नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र नहीं कर रहा है। हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दबदबे को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत का इस संगठन में शामिल होना वक्त की मांग और एक रणनीतिक जरूरत है।
संयुक्त समुद्री बल एक ऐसी समुद्री साझेदारी है, जिसका मकसद 3.2 मिलियन वर्ग के विस्तार वाले अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में अवैध गैर-राज्य का मुकाबला करके नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना है। गैर-राज्य अभिकतार्ओं का मतलब है, वैसे लोग जिनका किसी देश या सरकार से संबंध नहीं है। इस बल का काम उस खुले समुद्र में सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना है, जिसमें दुनिया की सबसे महत्त्वपूर्ण शिपिंग लेन शामिल हैं। सीएमएफ दुनिया की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय नौसैनिक साझेदारी है, जिसकी स्थापना साल 2001 में की गई थी. इसका मुख्यालय बहरीन में स्थित है।
संयुक्त समुद्री बल का मुख्य काम नशीले पदार्थों की तस्करी रोकना और समुद्री डकैती से निपटना है। इसके अलावा क्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना, समग्र सुरक्षा और स्थिरता में सुधार के लिए क्षमताओं को मजबूत करने के लिए क्षेत्रीय और अन्य भागीदारों के साथ जुड़ना। इसके अलावा गैर-कानूनी गैर-राज्य अभिकतार्ओं की गतिविधियों से मुक्त एक सुरक्षित समुद्री वातावरण को बढ़ावा देना है। जरूरत पड़ने पर ये बल पर्यावरण से जुड़े मुद्दों और मानवीय आपदा राहत के लिए भी काम करती है। संयुक्त समुद्री बल के पांच संयुक्त कार्य बल हैं। इनमें से एक टास्क फोर्स अरब की खाड़ी के बाहर समुद्री सुरक्षा का संचालन करती है, जिसमें उसका काम ओमान की खाड़ी और हिंद महासागर पर केंद्रित है।
दूसरी टास्क फोर्स काउंटर-पाइरेसी का काम करती है। तीसरी टास्क फोर्स का काम अरब की खाड़ी के अंदर समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करना है और चौथी टास्क फोर्स लाल सागर और अदन की खाड़ी की समुद्री सुरक्षा संभालती है। इसी साल मई में एक पांचवीं टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसका काम समुद्री सुरक्षा प्रशिक्षण देना है।
भारत के सीएमएफ की पूर्ण सदस्यता लेने के बाद अब इसके 38 सदस्य हैं। अन्य सदस्य देशों में आस्ट्रेलिया, बहरीन, बेल्जियम, ब्राजील, कनाडा, डेनमार्क, जिबूती, मिस्र, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इराक, इटली, जापान, जार्डन, केन्या, कोरिया गणराज्य, कुवैत, मलेशिया, नीदरलैंड , न्यूजीलैंड, नार्वे, ओमान, पाकिस्तान, फिलीपीन, पुर्तगाल, कतर, सऊदी अरब, सेशेल्स, सिंगापुर, स्पेन, थाईलैंड, तुर्किये, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यमन शामिल हैं। हालांकि इस साल मई के महीने में संयुक्त अरब अमीरात ने कहा कि वो सीएमएफ से हट रहा है। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि सभी साझेदारों के साथ प्रभावी सुरक्षा सहयोग के मूल्यांकन के बाद उसने सीएमएफ से अपनी भागीदारी वापस लेने का फैसला किया है। महत्त्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों पर अपनी रणनीतिक स्थिति की वजह से संयुक्त अरब अमीरात सीएमएफ गठबंधन का एक सक्रिय भागीदार था। अमेरिकी नौसेना के वाइस एडमिरल रैंक का अधिकारी सीएमएफ की कमान संभालता है।