झारखंड से एक अच्छी खबर सामने आ रही है। यहां एक मंत्री के बेटे ने चपरासी बनना चुना है। उसका कहना है कि पिता मंत्री हैं इसका मतलब यह नहीं है कि मैं भी राजनीति में शामिल हो जाऊं। इस नौकरी को लेकर भले पिता से मेरा मतभेद हो मगर तब भी मैं यह नौकरी करूंगा। मुझे चपरासी की नौकरी से कोई दिक्कत नहीं है।
दरअसल, झारखंड के श्रम और रोजगार मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे मुकेश कुमार का चयन चतरा सिविल कोर्ट में चपरासी के पद पर हुआ है। यह मुकेश के लिए खुशी की बात है। इस बारे में जानकर लोग हैरानी जता रहे हैं कि भला एक मंत्री का बेटा चपरासी की नौकरी कैसे कर सकता है।
अब तक तो लोग यही देखते आए हैं कि मंत्री का बेटा राजनीति में अपना हाथ आजमाता है या फिर बड़े पद पर काबिज हो जाता है, ठेकेदारी करता है, व्यापार में शामिल हो जाता है। कहने का मतलब यह है कि पिता के नाम पर उसके लिए करियर चुनना आसान होता है। उसके लिए रास्ते पहले से तैयार होते हैं। कुछ नहीं तो वह नेतागिरी तो कर ही लेता है। हालांकि उसके उलट मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे मुकेश ने नया उदाहरण पेश किया है। वह चपरासी की नौकरी के लिए तैयार है। उसे इस पद से कोई परेशानी नहीं है।
शुक्रवार से ही इस बात की हर तरफ चर्चा हो रही है कि मंत्री के बेटे ने नेतागिरी ना कर चपरासी बनने का फैसला किया है। जानकारी के 28 साल के मुकेश मंत्री सत्यानंद भोक्ता के तीसरे बेटे हैं।
आर्ट साइंस से ग्रेजुएशन की डिग्री हांसिल करने वाले मुकेश कुमार भोक्ता ने कहा कि उनके पिता एक नेता है। उन्होंने चतरा सीट जीती थी और वर्तमान में वे श्रम रोजगार मंत्री हैं। वे उन्हें इस नौकरी को करने से मना नहीं करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, 28 साल के मुकेश और उसके चचेरे भाई रामदेव भोक्ता ने चपरासी की नौकरी के लिए अप्लाई किया था। कुछ समय पहले ही उनका इंटरव्यू हुआ था। इसके बाद मुकेश का सलेक्शन हो गया। वहीं रामदेव का नाम अभी वेटिंग लिस्ट में है। मुकेश ने कहा कि उनके पिता राजनीति में हैं और मंत्री हैं लेकिन इसका यह मतलब यह नहीं है कि वह भी राजनीति में शामिल हो जाएंगे। वे तो चपरासी की नौकरी करना चाहते हैं।