Rahul Gandhi: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी संगठन में महिलाओं की सक्रियता को बढ़ाना देने का आह्वान किया है। गांधी ने कहा कि आने वाले 10 सालों में 50 फीसदी महिलाओं को मुख्यमंत्री बनाने का लक्ष्य रखा गया है। राहुल गांधी का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब उत्तर प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व में अंसतोष की सुगबुगाहट बढ़ रही है। क्योंकि 130 सदस्यीय उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की कमी।
शुक्रवार को कोच्चि में केरल महिला कांग्रेस सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद वायनाड सांसद ने कहा कि पार्टी में कई महिला नेताओं में मुख्यमंत्री बनने के जरूरी गुण हैं। राहुल गांधी ने कहा कि पहले मैं चर्चा कर रहा था कि हमारे लिए प्रयास करने और हासिल करने के लिए एक अच्छा लक्ष्य क्या होगा और मैंने सोचा कि कांग्रेस पार्टी के लिए एक अच्छा लक्ष्य यह होगा कि आज से 10 साल बाद हमारे 50% मुख्यमंत्री महिलाएं होंगी। उन्होंने कहा कि आज हमारे पास एक भी महिला मुख्यमंत्री नहीं हैं, लेकिन मैं जानता हूं कि कांग्रेस में कई महिलाओं में अच्छे मुख्यमंत्री बनने के गुण हैं।
यूपी कांग्रेस की महिला नेताओं ने कहा कि यह निराशाजनक है कि जिस पार्टी ने पिछले साल विधानसभा चुनावों के दौरान “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” का नारा लगाया था, उसने नई यूपीसीसी में महिलाओं के लिए केवल पांच सीटें छोड़ीं। जिसका उद्घाटन पिछले सप्ताह किया गया था। जबकि केवल एक महिला को महासचिव नियुक्त किया गया (सरिता पटेल) जबकि समिति में अन्य चार सचिव हैं।
एक महिला कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य इकाई कुछ पुरुषों के हाथों में है जो महिलाओं की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी की महिला सेल पूरी तरह से निष्क्रिय है, क्योंकि उन्हें कुछ भी करने का मौका नहीं दिया जाता है। पार्टी में सब कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा तय किया जाता है। उनमें से कुछ दिल्ली में बैठे हैं और कुछ लखनऊ में बैठे हैं।
यूपी चुनाव में कांग्रेस ने 403 में से 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिए थे। महिला उम्मीदवारों में से एक प्रतापगढ़ जिले के रामपुर खास की आराधना मिश्रा ने जीत हासिल की, जिससे पार्टी की सीटों की संख्या सिर्फ दो रह गई।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में चुनाव अभियान के दौरान पार्टी ने महिला मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित किया और उनके लिए एक अलग घोषणापत्र भी जारी किया। जिसमें सत्ता में आने पर मुफ्त एलपीजी सिलेंडर और सरकारी बसों में यात्रा का वादा किया गया। चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद से प्रियंका यूपी से गायब हैं और राज्य इकाई फिलहाल पांच बार के विधायक अजय राय के नेतृत्व में है।
एक अन्य नेता ने कहा कि प्रियंका की अनुपस्थिति में लोग राज्य इकाई में फैसले ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब वह यहां थी, हम निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। महिलाओं से कोई सलाह नहीं लेता और सब कुछ कुछ पुरुषों के हाथ में है। उन्होंने आगे कहा कि प्रियंका जी तक पहुंचना भी असंभव है, क्योंकि वह ज्यादातर दूसरे राज्यों में प्रचार कर रही हैं। अगर किसी को उन्हें फोन करना है और पार्टी के भीतर के मुद्दों पर बात करनी है तो इसमें कई दिन लग जाएंगे। यहां तक कि बलात्कार पीड़ितों के घर जाने के दौरान भी पुरुष वहां मौजूद रहते हैं। हम अधिकांश समय परदे के पीछे ही खुद को महसूस करते हैं।
एक अन्य महिला नेता ने कहा कि अगर पार्टी ने उनकी उपेक्षा की तो उनके क्षेत्र के लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि अगर हमें पद और प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया तो स्थानीय पार्टी नेतृत्व और मतदाता हमारी बात नहीं सुनेंगे।
वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने स्वीकार किया कि व्यक्त की गई चिंताएं वास्तविक हैं। उन्होंने कहा कि मैं सहमत हूं कि महिलाओं का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं था और हम इसे सुधारेंगे। हम जल्द ही राज्य समिति में और महिलाओं की नियुक्ति करेंगे।
पुरुषों के सुर्खियों में रहने के आरोप पर राय ने कहा कि यह सच नहीं है। 2022 में जब 40% महिलाएं चुनाव लड़ीं तो क्या पुरुष नहीं थे? हम पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान अवसर देते हैं और गलतियों को सुधारेंगे।
हालांकि, एक अन्य कांग्रेस नेता ने पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि राज्य समिति में महिलाओं का अनुपात पिछली बार के समान ही है। महिलाओं के लिए 40% कोटा चुनाव के लिए था, संगठन के लिए नहीं। साथ ही, आप यूपी की किसी भी पार्टी को उठाकर देख सकते हैं। महिलाओं को इतनी ही सीटें दी गई हैं। हम कुछ महिलाओं वाली एकमात्र पार्टी नहीं हैं।