उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग में 12 नवंबर से फंसे 41 श्रमिकों को 17 दिनों के जटिल अभियान के बाद मंगलवार को बचाया गया। निकाले गये सभी श्रमिकों की हालत ठीक है पर उन्हें फिलहाल AIIMS ऋषिकेश में चिकित्सा निगरानी में रखा गया है। डॉक्टरों की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद ये मज़दूर अपने-अपने घर जा सकेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी मजदूरों को एक-एक लाख की राहत राशि दी है। वहीं, दूसरी ओर मजदूरों को निकाले जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अब हादसे वाली सिल्कयारा सुरंग का क्या होगा?
17 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था। बुधवार को जब मशीनों समेत ऑपरेशन टीम चली गई तो यह जगह वीरान नजर आई। बचाव अभियान के दौरान बंद किए गए सुरंग के पास के रास्ते बुधवार को खोल दिए गए। हालांकि पुलिसकर्मियों की एक टीम मौके पर तैनात की गई है। सरकार ने सुरंग का सेफ्टी ऑडिट करवाए जाने के आदेश दिए हैं। यहां काम करने वाले मजदूरों को ब्रेक दिया है। एनडीआरएफ के अनुसार, 60 कर्मचारी बचाव स्थल पर डेरा डाले हुए थे, 20 स्टैंडबाय पर थे। बुधवार को इन सभी को वापस लौटने के लिए कहा गया।
12 हजार करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी सिल्कयारा सुरंग परियोजना 4.5 किलोमीटर लंबी है। यह केंद्र सरकार की 900 किलोमीटर लंबी ‘चार धाम यात्रा ऑल वेदर रोड’ प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा है। इस परियोजना का लक्ष्य उत्तराखंड के चार धार्मिक शहरों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इस सुरंग को सिल्कयारा से बरकोट के बीच राडी नामक पहाड़ में छेद करके बनाया जा रहा है। हालांकि इसके निर्माण की खामियों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। इस सुरंग की वजह से धारासू और यमुनोत्री के बीच यात्रा में लगने वाले समय को एक घंटे एवं बीस किलोमीटर कम किया जाएगा।
एक पुलिसकर्मी ने बताया कि सुरंग का निर्माण कार्य कुछ दिनों तक बंद रहेगा। एक अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा ऑडिट होने तक काम रुका रहेगा। सूत्रों के अनुसार काम रोक दिया गया है, मजदूरों को दो दिन के लिए आराम दिया गया है। नाम ना छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने कहा कि उसे दो दिन तक आराम करने के लिए कहा गया है, जिसके बाद ठेकेदार की तरफ से जानकारी दी जाएगी।
बचाव अभियान पूरा होने के बाद एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि सुरंग का काम युद्ध स्तर पर शुरू करने की तैयारियां चल रही हैं। उन्होंने कहा, “हम युद्ध स्तर पर काम वापस शुरू कराएंगे। ये कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है। हम जल्द ही सुरंग निर्माण के तय नियमों का पालन करते हुए इसे सुधारेंगे और इसके आरपार निकल जाएंगे। इसमें सिर्फ 485 मीटर सुरंग खोदा जाना शेष है। हमें लगता है कि पांच से छह महीने में आर-पार निकलने की कोशिश करेंगे।”
हादसा होने से पहले भी इस सुरंग में 483 मीटर क्षेत्र में खुदाई किया जाना शेष है। खुदाई का काम पूरा होने के बाद सुरंग में बिजली के तार लगाने के साथ ही लाइनिंग जैसे काम किए जाएंगे। अब हमें बेहद सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। लेकिन अगले कुछ महीनों में हम सुरंग में खुदाई का काम पूरा कर लेंगे। इसके बाद सुरंग में बिजली पहुंचाने से लेकर वेंटिलेशन आदि के लिए वेंटिलेशन फैन जैसी मशीनें लगाने का काम किया जाएगा। ऐसे में अगले साल अक्टूबर-नवंबर तक सुरंग निर्माण पूरे होने की संभावना है।”
हालांकि, सुरंग के निर्माण में लगे इंजीनियरों के सामने सबसे पहली चुनौती 12 नवंबर को हुई लैंडस्लाइड से गिरे मलबे को साफ करना है। एनएचआईडीसीएल के कार्यकारी अध्यक्ष कर्नल सुधेरा ने कहा, “हम एक दो दिन का ब्रेक ले रहे हैं। क्योंकि इस परियोजना से जुड़े लोग पिछले 17 – 18 दिनों से लगातार बचाव अभियान में लगे हुए थे। ऐसे में दो दिन के अंतराल के बाद मलबा हटाने की दिशा में काम शुरू होगा।”
सड़क परिवहन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को बताया कि टूटे हुए स्ट्रक्टर की मरम्मत की जाएगी। जरूरी सुरक्षा ऑडिट के बाद प्रोजेक्ट का काम जारी रहेगा। बचाव दल का हिस्सा रहे अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि जरूरी सावधानियां बरती जाएंगी और सुरंग परियोजना जारी रहेगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि हम सिल्क्यारा सुरंग परियोजना की गहन समीक्षा करेंगे और हम कुछ सिस्टम में भी सुधार करेंगे।
वहीं, घटना के कारणों का पता करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने छह सदस्यीय विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया है। बाद में सड़क मंत्रालय फैसला करेगा कि सुरंग ढहने के कारण की जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाए या नहीं।