अंग्रेजों के जमाने के कानूनों में बदलाव करने में जुटी सरकार आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट जैसे कानूनों में आमूलचूल सुधार करते हुए इनके नाम भी बदलने जा रही है। सरकार की मंशा है कि भारतीय न्याय प्रणाली से पूरी तरह से अंग्रेजी राज की छाप और प्रतीक हटाई जाए। इसके तहत आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य बिल के तौर पर जाना जाएगा। सरकार इन कानूनों में भारी बदलाव के साथ ही इनकी परिभाषा, उपयोग, समय सीमा और तमाम दूसरे तरह के प्रावधान भी तय करेगी। हालांकि यह सब कुछ इतनी जल्दी संभव नहीं है। इसके लिए 2024 के चुनाव तक इंतजार करना होगा। अब यह चुनाव के बाद ही हो सकेगा।
पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने अगस्त में इसको लेकर विधेयक संसद में पेश किया था। संसद से मंजूरी के बाद इसमें कई तरह के बदलाव करने होंगे। विधेयक को संसद की सेलेक्ट कमेटी ने सिफारिशों के साथ सरकार को दे दिया है। अब सरकार शीत सत्र में इनको फिर से संसद में पेश करेगी।
संसद से मंजूरी के बाद भी इसको पूरी तरह से लागू होने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव और नई सरकार के आने तक इंतजार करना होगा। उसके बाद ही इन कानूनों के तहत नए केस दर्ज किए जाएंगे। अफसरों का कहना है कि कानूनों में बदलाव का असर नए मामलों और केसों पर ही पड़ेगा। आईपीसी और सीआरपीसी के तहत पहले से चल रहे केस उसी तरह चलते रहेंगे। यानी पुराने केसों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) के बदलने के प्रस्तावित विधेयकों में जल्दबाजी न करने का आग्रह किया है।
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि मौजूदा कानूनी प्रणाली में बदलाव एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है, इसलिए विधेयकों से पहले इस मामले में संसद के पटल पर चर्चा होनी चाहिए। पत्र में मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया है कि राज्य सचिवालय ने आईपीसी, सीआरपीसी और आईईए के बदलाव के मसौदे का अध्ययन करने के बाद इस मामले में अपनी सिफारिशें केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेज दी हैं।