दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत नहीं मिलने से निराश आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट से फिर से गुहार लगाई है। उन्होंने समीक्षा याचिका दायर कर कोर्ट से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 30 अक्टूबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
सिसोदिया के वकील विवेक जैन ने 24 नवंबर को दायर की थी। जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने 30 अक्टूबर को सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर निचली अदालत में ट्रायल में अगर देरी होती है तो सिसोदिया तीन महीने बाद जमानत याचिका दाखिल कर सकते है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि कुछ ऐसे पहलू हैं जिन पर संदेह जताया जा रहा है। साथ ही 338 करोड़ रुपये ट्रांसफर साबित हुआ है। ऐसे में जमानत नहीं दी जा सकती है। शराब घोटाला मामले में सिसोदिया इस साल 26 फरवरी से जेल में हैं। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय दोनों एजेंसियां उनकी जांच कर रही है।
मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने ईडी से कहा था कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए प्री-डेटिंग अपराध की तारीख तय की जानी चाहिए और ईडी कोई प्री-डेटिंग अपराध नहीं बना सकता है।
उधर, दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को लेकर चल रहा बवाल भी थम गया है। उनका कार्यकाल 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है। केजरीवाल सरकार ने इसका विरोध जरूर किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को राहत मिली है। कोर्ट ने केंद्र के कार्यकाल बढ़ाने के फैसले को पूरी तरह वैध मान लिया है। कोर्ट का साफ कहना है कि मुख्य सचिव का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है और ये राज्य सरकार के अधीन नहीं है।