Uttarkashi Rescue Operation: उत्तराखंड के उत्तरकाशी सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। ऑपरेशन के 17वें दिन पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थीं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह खुद घटनास्थल पर मौजूद थे। पीएमओ के कई अधिकारी नियमित घटनास्थल का दौरा कर रहे थे। NDRF, SDRF, भारतीय सेना और अन्य केंद्रिय एजेंसियों को साइट पर तैनात किया गया था। इनमें से कुछ लोगों ने सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण रोल निभाया। आइए एक नजर डालते हैं उन्हीं पांच किरदारों पर-
वैज्ञानिक शोधकर्ता और भूमिगत सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स भी उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे थे। डिक्स 20 नंवबर को सुरंग स्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने पिछले सात दिनों में सभी को पॉजिटिव रहने की सलाह दी। वो भूमिगत निर्माण से जुड़े जोखिमों पर सलाह देते हैं। वो सुरंग बनाने में दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों में से एक हैं।
IAS अधिकारी नीरज खैरवाल को सुरंग ढहने की घटना का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था। वो पिछले 10 दिनों से बचाव कार्यों की देखरेख और कमान संभाल रहे थे। खैरवाल पल-पल का अपडेट पीएमओ और सीएमओ को दे रहे थे। खैरवाल उत्तराखंड सरकार में सचिव भी हैं।
क्रिस कपूर दशकों से माइक्रो-टनलिंग विशेषज्ञ के रूप में काम कर रहे हैं। उनको खासतौर पर इसी रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बुलाया गया था। यह 18 नवंबर को घटनास्थल पर पहुंचे थे। ऐसी स्थिति में इनका बेहद ही कारगर अनुभव है। कूपर ने ही कार्य को तेजी से कराया। वो श्रषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार भी हैं।
भारतीय सेना के सेवानिवृत्त जनरल और NDRF की टीम के सदस्य सैयद अता हसनैन उत्तरकाशी सुरंग हादसे में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की भूमिका की देखरेख कर रहे थे। हसनैन पूर्व में श्रीनगर में तैनात भारतीय सेना की GOC 15 कोर के सदस्य थे। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में इनकी भी भूमिका काफी अहम रही।
माइक्रो-टनलिंग, मैन्युअल ड्रिलिंग में फंसे हुए श्रमिकों को बाहर निकालने और ऑगर ड्रिलिंग मशीन के टूटे हुए हिस्सों को मलबे से हटाने के बाद एक सीमित स्थान में हाथ से उपकरणों का इस्तेमाल करके ड्रिलिंग के अंतिम चरण को पूरा करने के लिए 12 ‘रैट-होल’ खनन विशेषज्ञों को बुलाया गया था। ‘रैट-होल’ खनन विशेषज्ञों ने 24 घंटे से भी कम समय में 10 मीटर की खुदाई करके अभूतपूर्व काम किया। राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के साथ-साथ NDRF और SDRF को भी यहां तैनात किया गया था।