सिलक्यारा सुरंग स्थल के पास के होमस्टे और होटल पिछले कुछ दिनों से व्यस्त रहे, लेकिन इस बार यहां थोड़ा अलग तरह के आगंतुक ठहरे थे। इसके पहले इन होमस्टे और होटल में अप्रैल से सितंबर के बीच अक्सर चारधाम यात्रा में शामिल लोग ठहरते रहे हैं। सुरंग ढहने से उसमें फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए बचाव अभियान शुरू होने के बाद से कई एजंसियों के अधिकारी इन होटलों में डेरा डाले हुए थे।
बचावकर्मी मंगलवार को सुरंग में 60 मीटर की लंबाई में फैले मलबे को तोड़ने के करीब पहुंचते दिखे। उत्तरकाशी में इनमें से अधिकांश होटल और होमस्टे गंगोत्री और यमुनोत्री को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-94 पर स्थित हैं। राज्य और सरकार के अधिकांश शीर्ष अधिकारी पिछले कुछ दिनों से ‘अनंतम रेजीडेंसी’ में ठहरे, जो ब्रम्हखाल गांव का एक ऐसा होटल है जो सिलक्यारा सुरंग स्थल से लगभग 12 किलोमीटर दूर है।
राष्ट्रीय राजमार्ग के इस 12 किमी लंबे हिस्से पर उत्तरकाशी जिले के कम से कम 10 गांवों के होटल और होमस्टे का उपयोग कई एजंसी की बचाव टीम के अधिकारियों द्वारा किया गया है। ब्रह्मखाल में मोनाल होटल के मालिक मनीष रावत ने कहा, ‘अप्रैल से सितंबर तक छह महीने का समय हमारी कमाई के लिए अच्छा रहता है।
सर्दियों के दौरान, हम अक्सर बेकार बैठते हैं। लेकिन बचाव अभियान से हमें कुछ काम मिल गया है।’ रावत के होटल में ओएनजीसी के अधिकारी ठहरे हैं जो राहत एवं बचाव कार्य से जुड़ी एक टीम का हिस्सा हैं। रावत ने कहा, ‘मेरे होटल में पांच कमरे हैं और सभी में ओएनजीसी के अधिकारी ठहरे हुए हैं। वे यहां पिछले कई दिनों से ठहरे हुए हैं।’
इस महीने की 12 तारीख को सुरंग ढहने के तुरंत बाद बचाव अभियान शुरू हुआ और बचावकर्मी, विशेषज्ञ, सरकारी अधिकारी और मीडियाकर्मी घटनास्थल पर पहुंच गए।अनंतम होटल के मालिक नीतीश रमोला के मुताबिक, 12 नवंबर तक सिर्फ दो कमरे ही भरे थे। रमोला ने कहा, ‘सुरंग हादसे के बाद अचानक मांग बढ़ गई और सभी 18 कमरे भर गए।’
इन होटल में ठहरने वाले प्रमुख लोगों में पीएमओ के उपसचिव मगेश घेडियाल, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे, एनएचआइडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद, एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशू मनीष खाल्खो, उत्तराखंड के सचिव नीरज खैरवाल, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन और अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स शामिल हैं।