दक्षिण अफ्रीका की एक खदान में लिफ्ट गिरने से 11 श्रमिकों की मौत हो गयी। दक्षिण अफ्रीका में प्लैटिनम की एक खदान में एक लिफ्ट अचानक 200 मीटर नीचे गिर गई, जिससे 11 श्रमिकों की मौत हो गई और 75 श्रमिक घायल हो गए। खदान संचालक ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि घायलों में से 14 की हालत गंभीर है। संचालक के मुताबिक यह घटना सोमवार शाम को उत्तरी शहर रस्टेनबर्ग की एक खदान में हुई जब सभी श्रमिक काम खत्म कर लौट रहे थे। उन्होंने बताया कि घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
खदान संचालक ‘इम्पाला प्लैटिनम होल्डिंग्स’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी’ (CEO) निको मुलर ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि यह कंपनी के इतिहास का सबसे काला दिन था। उन्होंने कहा कि लिफ्ट किस वजह से गिरी इसकी जांच शुरू कर दी गई है। खदान में मंगलवार को सभी परिचालन निलंबित कर दिए गए। खनिज संसाधन एवं ऊर्जा मंत्री ग्वेद मंताशे ने कहा कि घटना की जांच होगी। इम्प्लाट्स के प्रवक्ता जोहान थेरॉन ने कहा कि घटना के वक्त 86 कर्मचारी लिफ्ट में थे।
इम्प्लाट्स के प्रवक्ता जोहान थेरॉन ने कहा, घायलों में से कुछ को गंभीर फ्रैक्चर थे। उन्होंने कहा कि लिफ्ट शाफ्ट से लगभग 200 मीटर नीचे गिरी, हालांकि यह केवल शुरुआती अनुमान था। उन्होंने कहा कि यह बेहद असामान्य दुर्घटना थी। गौरतलब है कि दक्षिण अफ़्रीका विश्व में प्लैटिनम का सबसे बड़ा उत्पादक है। देश में 2022 में हुई कई खनन दुर्घटनाओं में 49 मौतें हुईं।
इम्पाला प्लैटिनम ने कहा कि यह गंभीर दुर्घटना सोमवार शाम 5 बजे जोहान्सबर्ग के उत्तर-पश्चिम में रस्टेनबर्ग में उसकी खदान में हुई, जब कर्मचारी अपनी शिफ्ट के अंत में एक शाफ्ट से बाहर निकल रहे थे। बयान में कहा गया कि कन्वेंस काउंटरवेट के जैक कैच में फंस जाने के कारण इसका तेजी से नीचे आना रुक गया था।
इम्पाला प्लैटिनम (इम्प्लाट्स) के सीईओ निको मुलर ने मंगलवार को एक बयान में कहा, “इस विनाशकारी दुर्घटना में खोए गए लोगों और प्रभावित व्यक्तियों के लिए हमारा दिल भारी है। हम अपने सहकर्मियों की मौत से गहरे सदमे और दुख में हैं और इस प्रक्रिया में हैं कि सभी निकटतम रिश्तेदारों से संपर्क किया जा सके।”
वहीं, दूसरी ओर भारत में उत्तरकाशी की सिल्कयारा टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए विभिन्न एजेंसियों द्वारा युद्धस्तर पर चलाए गए बचाव अभियान के 17वें दिन मंगलवार शाम को सभी 41 श्रमिक सकुशल बाहर निकाल लिए गए। बाहर आने के बाद श्रमिकों की सुरंग में ही तुरंत मेडिकल जांच की गई।