Maratha Reservation Issue: महाराष्ट्र में इस वक्त मराठाओं को ओबीसी में शामिल करने का मुद्दा जोर पकड़े हुए है, लेकिन अजित पवार के साथी छगन भुजबल की इस मुद्दे पर राय एकदम अलग है। जिसको लेकर उन्हें मराठाओं के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। दरअसल, छगन भुजबल नहीं चाहते हैं कि मराठाओं को ओबीसी में शामिल किया जाए।
जस्टिस संदीप शिंदे समिति को खत्म करने और मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को रोकने की मांग के एक दिन बाद महाराष्ट्र के मंत्री और प्रमुख ओबीसी नेता छगन भुजबल का बयान सामने आया। भुजबल ने कहा कि ओबीसी मराठों के लिए “पूर्ण आरक्षण” देने का विरोध करना जारी रखेंगे।
छगन भुजबल ने कहा, ‘हम मराठा समुदाय के लिए पूर्ण आरक्षण की मांग पर कभी सहमति नहीं देंगे। यह कानून के दायरे में भी फिट नहीं बैठता। भुजबल ने सोमवार को पुणे में मीडिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह पिछड़ी जाति नहीं है। मराठों को ओबीसी श्रेणी में रखने की मांग उचित नहीं है।’
अधिकार की लडाई में निमंत्रण नहीं भेजे जाते,
जिसका जमीर जिंदा है वो खुद समर्थन में आ जाते हैं,
हमारे हक पर जहां आँच आए टकराना जरूरी है,
और तुम जिंदा हो, तो जिंदा नजर भी आना जरूरी है।#OBCElgarParishad #ओबीसी_एल्गार_परिषद_हिंगोली#Hingoli #हिंगोली #OBC pic.twitter.com/Pmc00cfRjO
अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा से संबंधित मंत्री ने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए। इस संबंध में हम उन्हें अपना समर्थन देते हैं। संविधान में इसका प्रावधान है। जरूरत पड़ने पर सरकार समुदाय को आर्थिक और शैक्षणिक आधार पर अलग से आरक्षण दे सकती है। हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन मराठा समुदाय को कुनबी श्रेणी में आरक्षण नहीं मिलना चाहिए।
रविवार को हिंगोली के रामलीला मैदान में आयोजित ओबीसी समुदाय की एल्गार रैली में रसद मंत्री छगन भुजबल ने आक्रामक तेवर दिखाते हुए कहा था कि मराठा आरक्षण के लिए गठित की गई पूर्व न्यायाधीश-शिंदे समिति को बर्खास्त करने और जारी किए गए फर्जी कुनबी प्रमाण पत्रों को तत्काल रद्द करने की मांग की।
भुजबल ने कहा, “शुरुआत में मांग थी कि मराठवाड़ा के मराठा जो कुनबी थे, उन्हें कुनबी प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की थी कि निज़ाम-युग के दस्तावेजों की जांच की जानी चाहिए और उन्हें कुनबी प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। इसके लिए तेलंगाना में सबूत ढूंढने के लिए कुछ लोगों को नियुक्त किया गया था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने न्यायमूर्ति शिंदे समिति की नियुक्ति की। जब मुझसे इस बारे में पूछा गया तो मैंने मुख्यमंत्री से कहा कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है।”
उन्होंने कहा कि जांच के दौरान यदि प्रमाण मिल जाता है, तो वे परिवार स्वतः ही ओबीसी श्रेणी में आ जाते हैं… समिति ने काम करना शुरू कर दिया। प्रारंभ में, 5,000 रिकॉर्ड पाए गए। फिर आंकड़ा बढ़ने लगा… वे पूरे महाराष्ट्र में काम करने लगे, लेकिन हमने कभी भी समिति से पूरे महाराष्ट्र में काम करने के लिए नहीं कहा था। उन्होंने कहा कि कुनबी पश्चिमी महाराष्ट्र, उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में मौजूद हैं। उनके पास पहले से ही कुनबी जाति का प्रमाण पत्र है। समिति का काम निज़ाम-युग के दस्तावेज़ों और वंशावली की जांच करने तक ही सीमित था। मराठवाड़ा में काम ख़त्म हो गया है। इसलिए समिति को भंग कर दिया जाना चाहिए।”