ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों का डंका सिर्फ क्रिकेट में नहीं बल्कि राजनीति के मैदान में भी काफी बढ़ रहा है। ब्रिटेन के बाद ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय रहते हैं। यह आंकड़ा 700,000 के करीब है। यह भारतीय ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। ऐसे कई बड़े नाम ऑस्ट्रेलिया से सामने आ रहे हैं जिनका प्रभाव काफी बढ़ गया है। ऐसे ही एक भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई जो अपने काम के जरिए महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे हैं, वे हैं 45 वर्षीय देवानंद नोएल (डेव शर्मा)। वह 2019 में ऑस्ट्रेलियाई संसद के सदस्य बनने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति बने थे।
वह एक बार फिर न्यू साउथ वेल्स लिबरल सीनेट बनकर राजनीति में वापसी कर रहे हैं और ऑस्ट्रेलियन एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वह इस सीट पर देश के पूर्व विदेश मंत्री मैरिस पायने की जगह लेंगे। डेव शर्मा ने 2022 के चुनाव में अपनी हार तक वेंटवर्थ की सिडनी सीट का प्रतिनिधित्व किया। ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन की रिपोर्ट के अनुसार न्यू साउथ वेल्स लिबरल पार्टी के सदस्यों द्वारा रविवार को हुए मतदान में शर्मा ने अंतिम मतदान में कॉन्स्टेंस को 251-206 से हराया।
डेव शर्मा का जन्म 1975 में कनाडा के वैंकूवर में हुआ था। उनके पिता एक भारतीय थे और मां ऑस्ट्रेलियाई थीं। उनकी दो बहनें हैं। पिता और मां की मुलाकात 1960 के दशक में लंदन में हुई थी और 1979 में परिवार सिडनी चला गया। डेव शर्मा का बचपन काफी खुशहाल रहा। उनकी मां का निधन स्तन कैंसर के रहते हो गया था, उस वक्त वह केवल 12 वर्ष के थे। तब से शर्मा और उनकी बहनों का पालन-पोषण उनके पिता ने किया।
डेव शर्मा ने सिडनी के तुर्रामुर्रा हाई स्कूल में पढ़ाई की। 1994 में वह कला में स्नातक करने के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए। उन्होंने शुरुआत में प्राकृतिक विज्ञान से जुड़ी पढ़ाई की। 1995 में उन्होंने कानून की पढ़ाई करने का फैसला लिया और डिग्री हासिल की। फिर वह सिडनी मेडिकल स्कूल में चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए सिडनी लौट आए। एक साल बाद उन्होंने विदेश मामलों और व्यापार विभाग (डीएफएटी) के लिए एक लोक सेवक के रूप में काम करना शुरू किया और डीकिन विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मास्टर डिग्री पूरी की।
डेव शर्मा 2013 तक इजरायल में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत के तौर पर रहे। जहां व्हा चार साल तक काम करते रहे। 2017 में ऑस्ट्रेलिया लौटने पर उन्होंने निजी क्षेत्र में कदम रखा और टेक्नोलोजी में विभिन्न कंपनियों और व्यवसायों के सलाहकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया।