वह झूठ बोलता… उसका बाप भी वहां झूठ बोलता…! लीजिए वे पिताजी तक पहुंच गए… सर जी आप तो ऐसे न थे..! इसके बाद फिर नफरत का एक गोला कि ‘भारत माता क्या है’! चैनल से चैनल दोहराव कि ‘भारत माता क्या है?’इसे देख भारतमाता के भक्त धिक्कारे कि देखो-देखो उन्होंने हमारी भारत माता का अपमान किया… माफी मांगें, माफी मांगें..! अपनी राजनीति अब ‘गली गटर’ छाप हो चली है। पहले गाली, फिर ताली। जब कहे कि मांगो माफी, तो जवाब में फिर एक नफरतिया गाली और फिर ताली..!
जैसे ही टीमइंडिया क्रिकेट के विश्वकप के फाइनल में आस्ट्रेलिया से हारी वैसे ही यही हुआ। असली नफरतिया टिप्पणी ‘मोहब्बत की दुकान’ से आई कि क्रिकेट मैच में चला जाएगा… ये और बात है कि हरवा दिया… पनौती पीएम मतलब पनौती मोदी..! और फिर हंसना..! इसका कारण रहा क्रिकेट के विश्व कप के फाइनल मैच को देखने प्रधानमंत्री का जाना और आस्ट्रेलिया से हारने पर टीम इंडिया का ढाढस बंधाने टीम के ड्रेसिंग रूम में जाना और खिलाड़ियों की हिम्मत बढ़ाना कि ऐसा होता रहता है..! लेकिन प्रधानमंत्री मैच देखने न भी जाते तो भी यही होता! नफरत के लिए अब बहाने की भी जरूरत नहीं।
समूची आपत्ति प्रधानमंत्री के जाने को लेकर रही। एक कहिन कि आइसीसी के नियमानुसार ड्रेसिंग रूम में किसी का भी जाना मना है। वहां जाकर उन्होंने खिलिाडियों की निजता भंग की… अपराध किया। बहरहाल ‘पनौती’ जैसे टपोरी शब्द ने विपक्षी प्रवक्ताओं की बांछें खिला दीं। एक विपक्षी प्रवक्ता ‘पनौती’ शब्द पर इतना फिदा दिखा कि कह उठा… कुछ भी हो ‘पनौती’ तो तभी ‘चिपक’ गया था, जब ‘चंद्रयान’ फेल हुआ था..!
ये चिपकाने की राजनीति है प्यारे! जो चिपका दे वही मीर! सिर्फ एक सत्ता के पक्ष प्रवक्ता ने ‘पनौती’ शब्द को पनौतीवादियों पर ‘पलटमार’ करके कइयों की बोलती बंद कर दी कि हां, हम पनौती हैं इनके भ्रष्टाचार के खिलाफ, परिवारवाद के खिलाफ..! यह था ‘शठे शाठ्यम समाचरेत’, जिसे सुन ‘पनौती’ के कई पट्टेबाजों की हवा निकल गई।
इन दिनों की बहसों में जब तक कोई नहले पर दहला न मारे और उतनी ही निजी चोट न करे, जितनी की गई, तब तक बहसें निपटती ही नहीं..! और इन दिनों तो नफरतियों में भी होड़ है। एक ने कहा ‘पनौती’ तो दूसरी ओर से आया ‘पापी’! चिपकाने की राजनीति जो न कहलवाए, सो थोड़ा। जब एक चैनल ने ‘पापी’ कथन को बहस का विषय बनाया तो एक एंकर ने ‘पापी बोल’ के पक्षकार को चेताया कि पापी शब्द ‘अंधविश्वास’ से जुड़ा है तो ‘पापी बोल’ के पक्षकार ने अंधविश्वास का पक्ष लेते हुए कहा कि मैं भी अंधविश्वासी हूं..!
सच! नफरत खिली है गुलशन गुलशन..! एक सत्ता प्रवक्ता ने कहा कि ‘पनौती’ आदि कहने वाले ‘कंपल्सिव आबसेसिव न्यूरोसिस डिसआर्डर’ यानी ‘बाध्यकारी जुनूनी न्यूरोसिस विकार के शिकार’ हैं! यही चुनावी जुनून जब राजस्थान पहुंचा तो वहां भी एक छोटी-मोटी ‘हल्दीघाटी’ हो गई। एक ओर पीएम के बीकानेर से जयपुर तक बड़े-बड़े रोड शो, उधर विपक्षी नेताओं की जनसभाएं। यहीं अशोक गहलोत एकदम ‘धरतीपकड़’ की तरह लड़ते दिखे, जो कह दिए कि मैं गुजरात में था तो कहे थे कि ये मारवाड़ी यहां क्या कर रहा है। मैं भी कह रहा हूं कि ये गुजराती मारवाड़ में क्या कर रहा है। यानी कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है?
इतने पर भी तसल्ली न हुई तो ‘मोहब्बत की दुकान’ के एक बड़े नेता की जुबान से फिर एक नफरतिया गोला गिरा कि मोदी घांची तेली जाति के हैं, बाद में ओबीसी करा लिए हैं। लेकिन इसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया! इसी बीच ईडी ने नेशनल हेरल्ड केस की 652 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली और फिर एक नई हाय-हाय पैदा कर दी।
ईडी की कार्रवाई पर सीधे प्रत्यारोप आया कि जब-जब चुनाव आते हैं, बदले की ऐसी कार्रवाई की जाती है। इसके बाद कई चैनल हैदराबाद की उस रैली की खबर देने लगे, जिसमें ‘एमिम’ के एक बड़े नेता ने रैली के समय को लेकर ‘टोकने’ पर पुलिस को ही ‘दौड़ाने’ की धमकी दे दी। एक बार इशारा दे दिया तो दौड़ा दिए जाओगे। बाद में नेता पर एफआइआर हो गई।
गुरुवार की शाम प्रधानमंत्री मथुरा में संत मीराबाई की 525वीं जन्म जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए संत मीराबाई के पदों को उद्धृत करते हुए ‘ब्रजभूमि’ का माहात्म्य बताते रहे और अंत में ‘राधे-राधे’ और ‘जय श्रीकृष्ण’ से किया! अब विपक्ष कहेगा कि ये क्या मथुरा की तैयारी है? इस बीच उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे इकतालीस मजदूरों को सुरक्षित निकालने का काम अपने अंतिम चरण में बताया जा रहा है, जिसे हर चैनल सीधा प्रसारण दिखा रहा है और दुआ कर रहा है कि सब सही-सलामत निकल आएं तब चैन मिले।
उधर इजराइल-हमास अस्थायी युद्ध विराम व इजराइली बंधकों की वापसी की खबर ने दुनिया को कुछ दिनों के लिए कुछ शांत किया! चलते चलते : मोहन भागवत जी फिर यह कह कर एक विवाद का नया मुद्दा दे गए कि दुनिया को आर्य बनाना है, संस्कृति से बनाना है। इस पर विपक्षी नेता उदित राज ने कहा : पहले अपने यहां तो बना लो, फिर देखना!