इजरायल और हमास के बीच पिछले एक महीने से ज्यादा समय से जारी युद्ध के बीच गाजा में चार दिवसीय युद्धविराम का समझौता किया गया है। जिसके तहत शुक्रवार को हमास ने 24 इजरायली बंधकों को रिहा किया। 24 बंधकों के पहले बैच को रिहा किए जाने के एक दिन बाद हमास ने बंधकों के दूसरे बैच की सूची शनिवार को इजरायल को सौंप दी है। इन बंधकों को आज रिहा किया जा सकता है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय के एक बयान के अनुसार, सुरक्षा अधिकारी हमास से मिली बंधकों की सूची की जांच की जा रही है।
इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम समझौते के तहत इजरायली जेलों से रिहा हुए तीन दर्जन से ज्यादा फिलिस्तीनियों का शुक्रवार को वेस्ट बैंक पहुंचने पर जबरदस्त तरीके से स्वागत किया गया। रिहा किए गए कैदियों में कुछ को छोटे अपराधों के लिए और कुछ को हमलों के लिए दोषी ठहराया गया था। इन सभी कैदियों को यरूशलम के बाहर एक जांचचौकी पर रिहा किया गया, जहां भारी संख्या में फिलिस्तीनी लोग एकत्रित हुए थे। इन लोगों ने नारे लगाएं, तालियां बजाईं और हाथ हिलाए।
रिहा किए गए कैदियों में पंद्रह नाबालिग युवक भी थे। मैले कपड़े पहने, थकावट से चूर ये युवक रिहा होने के बाद जब अपने-अपने पिता से मिले तो उनके कंधों पर सिर रखकर रोते हुए दिखाई दिए। रिहाई का समय रात का था लेकिन आतिशबाजी की वजह से आसमान अलग-अलग रंगों से पटा हुआ दिखाई दिए वहीं देशभक्ति के संगीत ने माहौल को और खुशनुमा बना दिया। रिहा किए गए कैदियों में से कुछ ने फिलिस्तीनी झंड़ों को हाथ में लिया हुआ था तो कुछ ने हमास के हरे झंड़ों को अपने कंधों पर लिया हुआ था। जांच चौकी से बाहर निकलने के बाद उन्होंने जीत का संकेत दिया।
इजराइल और हमास के बीच चार दिवसीय संघर्ष विराम शुक्रवार को शुरू हुआ, जिसके दौरान इजरायली बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की अदला-बदली में गाजा में 13 इजरायलियों सहित दो दर्जन बंधकों को कैद से रिहा किया गया। इजरायली बंधकों के रिहा होने के कुछ घंटों बाद इजरायल की जेलों से फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया गया। रिहा किए गए फिलिस्तीनी कैदियों में 24 महिलाएं भी शामिल थीं, जिनमें से कुछ को इजरायल के सुरक्षाकर्मियों को चाकू मारने और अन्य प्रकार के हमलों के प्रयास में कई साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
वहीं अन्य कैदियों को सोशल मीडिया पर उकसाने के आरोप में कैद किया गया था। रिहा किए गए कैदियों में 15 नाबालिग भी शामिल थे, जिनमें से ज्यादातर पर पथराव और ‘आतंकवाद का समर्थन करने’ का आरोप था।