उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे मजदूरों को अब पूरे 13 दिन हो चुके हैं। जिन मजदूरों को पहले एक हफ्ते के अंदर निकालने की बात हो रही थी, अब दो हफ्ते होने को चले हैं। चिंता की बात ये है कि जिन विदेशी मशीनों के सहारे अब तक इस ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा था, अब वहीं सबसे बड़ा रोड़ा भी बनती दिख रही हैं। इस पूरे रेस्क्यू मिशन में सबसे ज्यादा चर्चा ऑगर मशीन की हुई है, इसी के सहारे काफी हद तक मजदूरों के करीब भी पहुंचा गया है।
लेकिन अब जब ये रेस्क्यू मिशन अंतिम चरण में चल रहा है, ये मशीन बार-बार तकनीकी खराबी की वजह से बंद पड़ जाती है, लगातार मलबे के साथ आ रहे सरियों ने भी इस मशीन की शक्ति को खासा कम कर दिया है। शुक्रवार देर रात भी इसी वजह से रेस्क्यू को फिर रोकना पड़ गया क्योंकि सरिया बीच में आ गया और ड्रिलिंग का काम रुक गया। अब ऐसा नहीं है कि रेस्क्यू टीम सिर्फ इस अमेरिकी मशीन पर ही निर्भर कर रही हो, उसके पास एक प्लान बी भी तैयार है।
इस प्लान बी के तहत मैन्युल ड्रिलिंग पर विचार किया जा रहा है। इसका मतलब ये है कि एक टीम टनल के अंदर जाएगी और तब वहां पर ड्रिलिंग का काम किया जाएगा। अब कहने में ये जितना सरल लग रहा है, असल में ये उतना ही चुनौतापूर्ण साबित होने वाला है। असल में जो काम एक मशीन नहीं कर पा रही है, उसका मैन्युली सफल होना पहले ही खासा मुश्किल नजर आता है। इसके ऊपर चिंता की बात ये भी है कि अगर रेस्क्यू टीम अपने इसी प्लान बी के साथ जाती है तो उस स्थिति में मिशन के पूरा होने में कुछ दिन और जा सकते हैं।
अभी के लिए तो बस इतना ही कहा जा रहा है कि सूर्य की पहली किरण के साथ एक बार फिर फुल स्पीड से रेस्क्यू को शुरू कर दिया जाएगा। एक ही बयान दिया गया है- रेस्क्यू अंतिम चरण में है और गुड न्यूज कभी भी मिल सकती है। लेकिन ये गुड न्यूज पिछले 13 दिनों से नहीं आई है जिस वजह से मजदूरों की उम्मीद तो टूट ही रही है, बाहर बैठे उनके परिजन भी बेबस नजर आ रहे हैं।
अब मजदूरों को मजबूत रखने के लिए कई मनोवैज्ञानिकों को भी मौके पर उपस्थिति रखा गया है। उन्हीं की तरफ से लगातार उन मजदूरों की काउंसलिंग की जा रही है, उन्हें मजबूत रहने के लिए कहा जा रहा है। इसके अलावा उनके टाइम पास के लिए लूडो, शतरंज जैसे खेल भी सुरंग में अंदर पहुंचा दिए गए हैं। एक डॉक्टर के तो मुताबिक उन्होंने जिन मजदूरों से बात की वो इस समय चोर पुलिस खेल रहे हैं। ऐसे में हर कोई बस किसी तरह समय काट रहा है और बाहर निकलने की आस लगाए बैठा है।
वैसे जानकारी के लिए बता दें कि एक बार अगर सफल रेस्क्यू हो गया तो पोस्ट ट्रीटमेंट की भी सारी तैयारी पहले से ही कर रखी है। एंबुलेंस स्टैंड बाय मोड पर घटनास्थल पर मौजूद हैं, अस्पतालों को निर्देश दिया जा चुका है और डॉक्टरों की टीम भी पैनी नजर बनाए हुए है। बताया ये भी जा रहा है कि मजदूरों को अब तुरंत सुरंग से बाहर नहीं निकाला जाएगा, बल्कि कुछ देर बाद उन्हें बाहर के वातावरण में लाया जाएगा। इसका कारण ये है कि बाहर और सुरंग के तापमान में काफी फर्क है, ऐसे में मजदूर बीमार ना पड़ जाएं, ऐसे में इस पहलू पर भी पूरा जोर दिया गया है। अभी के लिए पूरा देश उम्मीद लगाए बैठा है कि आज यानी कि शनिवार को मजदूरों का उस टनल में अंतिम दिन रहे और वो भी बाहर की दुनिया में फिर दस्तक दे सकें।