उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कयारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए मलबे के बीच पाइप डालने का काम शुक्रवार सुबह तक शुरू नहीं हो सका। जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है उसे ठीक करने का काम किया जा रहा है। कंक्रीट को तेजी से सख्त करने के लिए एक्सेलेरेटिंग एजेंट का उपयोग करके ऑगर मशीन के प्लेटफॉर्म को मजबूत किया गया है। वहीं, मुड़े हुए पाइप को काटने के लिए वेल्डर्स की टीम पाइप के अंदर गई है। मुड़े हुए पाइप को काटने का काम जारी है। इसके तुरंत बाद ऑगर मशीन को रीअसेंबल कर ड्रिलिंग का काम शुरू किया जाएगा।
वहीं मजदूरों को पाइप के जरिए भोजन-पानी, दवाई और ऑक्सीजन भेजी जा रही है। इस बीच एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि बचाव दल ने सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बोर्ड गेम और प्लेइंग कार्ड उपलब्ध कराने की योजना बनाई है।
बचाव स्थल पर मौजूद मनोचिकित्सक डॉ रोहित गोंडवाल ने बताया, ‘‘हम उन्हें तनाव दूर करने में मदद के लिए लूडो, शतरंज और ताश उपलब्ध कराने की योजना बना रहे हैं। अभियान में देरी हो रही है और ऐसा लगता है कि कुछ समय और लगेगा।’’ उन्होंने कहा कि सभी 41 श्रमिक ठीक हैं लेकिन उन्हें स्वस्थ और मानसिक रूप से ठीक रहने की जरूरत है।
डॉ गोंडवाल ने कहा, “श्रमिकों ने हमें बताया कि वे ‘चोर-पुलिस’ खेलते हैं, तनाव दूर करने के लिए रोजाना योग और व्यायाम करते हैं।” इन श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक अन्य चिकित्सा विशेषज्ञ ने कहा कि उनका मनोबल ऊंचा रहना चाहिए और उन्हें आशावान रखना चाहिए। चिकित्सकों की एक टीम प्रतिदिन श्रमिकों से बात करती है और उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति के बारे में जानकारी लेती है।
सुरंग में 12 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के काम में गुरुवार को फिर से रुकावट पैदा हुई क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई थी। बुधवार देर रात ‘ऑगर’ मशीन के रास्ते में आए लोहे के गर्डर को काटने में छह घंटे की देरी के बाद दिन में अभियान फिर से शुरू होने के कुछ घंटे पश्चात अवरोध पैदा हुआ। 12 नवंबर को विभिन्न एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है कि ड्रिलिंग का काम रोका गया है।