कविता जोशी
देशभर में मौजूद तीन हजार से अधिक पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण की जिम्मेदारी संभालने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को एक पूर्णकालिक महानिदेशक की तलाश है। इस वर्ष अप्रैल महीने में वी.विद्यावती (1991 बैच कर्नाटक कैडर की आइएएस अधिकारी) के केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में सचिव पद पर नियुक्ति के बाद से एएसआइ को एक पूर्णकालिक महानिदेशक की तलाश है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि नए एएसआइ महानिदेशक की नियुक्ति के लिए योग्य और अनुभवी अधिकारी की नियुक्ति प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई है।
इसे लेकर विज्ञापन भी जारी किया जा चुका है। मंत्रालय को कई आवेदन मिले हैं। इनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अनुभवी अधिकारियों से लेकर कुछ विषय विशेषज्ञ भी शामिल हैं। मंत्रालय अपने पास आने वाले आवेदनों में से कुछ नामों की संक्षिप्त सूची बनाकर उन्हें प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (ACC) के पास भेजेगा। एसीसी इनमें से किसी एक नाम पर एएसआइ महानिदेशक के रूप में अंतिम स्वीकृति की मुहर लगाएगी। इस समिति में प्रधानमंत्री, कैबिनेट सचिव और उनके अलावा संस्कृति मंत्रालय में सचिव बतौर सदस्य शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि अप्रैल महीने में वी.विद्यावती के जाने के बाद एएसआइ के अतिरिक्त महानिदेशक (संरक्षण और विश्व विरासत) जान्हविज शर्मा को एएसआइ महानिदेशक के रूप में प्रभार दिया गया था। लेकिन मई में संस्कृति मंत्रालय ने भारतीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) के अध्यक्ष प्रो.किशोर.के. बासा (Prof. Kishore K. Basa) को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक का छह महीने तक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा दिया। जिसकी अवधि नवंबर के अंत में समाप्त हो रही है।
सूत्रों का कहना है कि इस महीने के अंत तक नए महानिदेशक की नियुक्ति की पूरी संभावना बनी हुई है। लेकिन अगर किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाता है तो प्रो.बासा का कार्यकाल कुछ समय के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि संस्कृति मंत्रालय से मई में जारी हुए आदेश में ये कहा गया था कि प्रो.बासा को उनके कार्यभार संभालने की अवधि यानी दस मई 2023 से नियमित पदस्थापन होने तक या अगले आदेश तक जो भी पहले हो प्रभावी रहेगा।