भारत जल्द ही रक्षा क्षेत्र में तीन बड़ी स्वदेशी परियोजनाओं को प्रारंभिक मंजूरी देगा, जिनकी कुल लागत लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये होगी। इसके तहत एक और एयरक्राफ्ट कैरियर, 97 और तेजस लड़ाकू विमान और 156 प्रचंड हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर बनाने को मंजूरी दी जाएगी। सूत्रों ने बताया कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद की 30 नवंबर को होने वाली बैठक में तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए AoN को स्वीकृति देने की संभावना है। यह खरीद प्रक्रिया की दिशा में पहला कदम होगा।
इन हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों की सूची में 180 हल्के लड़ाकू विमान मार्क1Aशामिल हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इस परियोजना से घरेलू लड़ाकू विमान विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। अन्य ‘मेड इन इंडिया’ परियोजनाओं में Su-30MKI लड़ाकू विमानों के बेड़े को अपग्रेड करने का एक प्रमुख कार्यक्रम शामिल है, जिसकी लागत 60,000 करोड़ रुपये से अधिक है। इस मेड इन इंडिया प्रोजेक्ट में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और भारतीय वायु सेना के संयुक्त प्रयास शामिल होंगे, जिसमें विमानों को स्वदेशी रडार, एवियोनिक्स और हथियारों से लैस किया जाएगा।
एक बार AoN स्वीकृत हो जाने के बाद, तीन सौदों को अंतिम मंजूरी के लिए सुरक्षा पर कैबिनेट समिति को सौंपे जाने से पहले टेंडर और कमर्शियल मुद्दों पर बातचीत होगी। ये सभी परियोजनाएं जिन्हें क्रियान्वित होने में कई साल लगेंगे, भारत-चीन के बीच बढ़ते संघर्षों की पृष्ठभूमि में देश की सैन्य तैयारियों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस परियोजना पर जल्द ही रक्षा मंत्रालय के भीतर उच्च स्तर पर चर्चा होने वाली है, जिसमें पहले लगभग 90 विमान शामिल होंगे और फिर धीरे-धीरे शेष 160 से अधिक विमानों को कवर किया जाएगा, जिससे उन्हें पांचवीं पीढ़ी की क्षमताओं के करीब लाया जाएगा।
लगभग 55,000 करोड़ रुपये की लागत से 97 तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान, फरवरी 2021 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) के साथ किए गए 46,898 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत पहले से ही ऑर्डर किए गए 83 ऐसे जेट विमानों में शामिल हो जाएंगे। ये 180 तेजस जेट महत्वपूर्ण हैं। भारतीय वायुसेना अपने लड़ाकू स्क्वाड्रनों की संख्या को बढ़ाएगी, जो घटकर केवल 31 रह गई है जबकि चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए कम से कम 42 स्क्वाड्रनों की आवश्यकता होती है। पहले 83 मार्क-1A जेट की डिलीवरी फरवरी 2024-फरवरी 2028 की समयसीमा में होनी है।