उद्योगपति गौतम अडानी की मुश्किलें हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद से काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। पिछले कुछ महीनों पहले तक तो उस एक रिपोर्ट की वजह से अडानी की संपत्ति को तगड़ी चपत लगी थी और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस समय उसी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में भी एक मामला चल रहा है जिस पर आज यानी कि शुक्रवार को अहम सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद सर्वोच्च अदालत ने भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि वर्तमान स्थिति में वे हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सत्य नहीं मान सकते हैं। इस समय कोर्ट के पास उस रिपोर्ट की वास्तविकता चेक करने के लिए कोई साधन नहीं है, ऐसे में सेबी को मामले की जांच करने के लिए कहा गया है। ये अलग बात है कि याचिकाकर्ता इससे नाखुश हैं, उनकी तरफ से तो कोर्ट में यहां तक कहा गया है कि सेबी को इस पूरे मामले की जानकारी पहले से है, उसने जांच भी कर ली है, लेकिन कोई खुलासा नहीं किया जा रहा।
इन दावों पर कोर्ट ने भी दो टूक कहा है कि अगर जांच हुई है तो उसका सबूत कहा है, क्या साक्ष्य है। किस आधार पर सेबी की जांच पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वैसे सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने सेबी पर कई सवाल दागे, उनका कहना रहा कि गैर कानूनी तरीके से पैसों को दुबई और मॉरीशस भेजा गया था, बाद में वहीं पैसा अडानी के शेयर में इनवेस्ट भी हो गया। इन्हीं पहलुओं पर सेबी ने कोई जांच नहीं की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाया कि अगर ऐसा है भी तो सेबी के बजाय जांच तो DRI को करनी चाहिए।
जानकारी के लिए बता दें कि 25 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के संबंध में एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया था। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। उस रिपोर्ट के बाद ही रिकॉर्ड स्तर पर अडानी के शेयर गिर गए थे और भारत की राजनीति में भी बड़ा सियासी भूचाल आया था।