उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों की जिंदगी के तार अब पूरे देश के साथ जुड़ चुके हैं। हर कोई उनके सफल रेस्क्यू की कामना कर रहा है, जल्द से जल्द उन्हें इस मुश्किल से निकलता देखना चाहता है। लेकिन ये रेस्क्यू अभी भी अपनी असल मंजिल से दूर है। शुरुआत हो चुकी है, काफी करीब तक भी पहुंच गए हैं, लेकिन ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है कि मजदूरों के पास होने के बाद भी टीम कुछ दूर दिखाई पड़ रही है।
बताया जा रहा है कि अब रेस्क्यू टीम मजदूरों से सिर्फ 10 मीटर की दूरी पर है। ऑगर मशीन के जरिए काफी तेजी से सुंरग में रास्ता बनाया जा रहा है, लेकिन बीच-बीच में आ रही रुकावटों ने इस प्रक्रिया को और ज्यादा धीमा कर दिया है। असल में ये रेस्क्यू तो अपने आखिरी चरण में पहुंच चुका है, लेकिन मजदूरों की सेहत का ध्यान रखते हुए भी कुछ धीमा चला जा रहा है।
इस समय जब फुल स्पीड से ऑगर मशीन को टनल के अंदर चलाया जा रहा है, मलबे के साथ-साथ सरिया भी रुकावट का केंद्र बन रहा है। उस सरिए की वजह से ही कुछ मौकों पर ऑगर मशीन भी खराब हुई है। बुधवार रात को भी ऐसे ही बीच ऑपरेशन के मशीन जवाब दे गई थी और फिर एनडीआएफ की टीम को पहले उस सरिए को काटना पड़ा और तब जाकर फिर रेस्क्यू शुरू किया जा सका।
जानकारी ये भी मिल रही है कि जब ऑगरमशीन का इस्तेमाल हो रहा है, मलबे का धुंआ मजदूरों तक भी जा रहा है जिस वजह से उन्हें दूसरी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से माना जा रहा है कि धीमे-धीमे ही कदम बढ़ाए जा रहे हैं जिससे रेस्क्यू भी हो जाए और मजदूरों की सेहत पर और ज्यादा गलत प्रभाव ना पड़े। अभी के लिए 48 मीटर तक की ड्रिलिंग की जा चुकी है और जैसे ही ये 60 मीटर तक पहुंच जाएगी, मजदूरों से रेस्क्यू टीम की मुलाकात हो जाएगी और फिर आगे के प्लान पर काम किया जा सकेगा।
यहां ये समझना जरूरी है कि रेस्क्यू करने के बाद भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। असल में अभी ये किसी को नहीं पता कि मजदूरों की वर्तमान हालत कैसी चल रही है, वे कितने कमजोर हैं, उन्हें क्या-क्या दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से माना जा रहा है कि एक रस्सी के जरिए उन्हें टनल से बाहर खींचा जा सकता है। ऐसा कर कम समय में मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है, लेकिन इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान अभी तक जारी नहीं किया गया है।
वैसे बड़ी बात ये भी है कि जिस ऑगर मशीन से इस रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है, उसी की वजह से 800 एमएम माइल स्टील पाइप भी क्षतिग्रस्त हो गया था। असल में ये मशीन काफी ताकतवर है और ड्रिलिंग के समय काफी वाइब्रेशन होती है। उसी कारण से उस पाइप में दरार आ गई। बताया तो ये भी जा रहा है कि रेस्क्यू टीम पूरी तरह इस मशीन पर अब निर्भर नहीं है और मैन्युल ड्रिलिंग के जरिए भी ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सकता है।