Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों का इतंजार 11वें दिन भी खत्म नहीं हुआ। रेस्क्यू ऑपरेशन बुधवार देर रात तक चला। देशवासियों को उम्मीद थी कि आज कुछ उम्मीद भरा दृश्य देखने को मिलेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। तकनीकी दिक्कतों की वजह से राहत-बचाव कार्य को रोकना पड़ा।
गुरुवार सुबह रेस्क्यू ऑपरेश शुरू होने से पहले पुजारी और बचाव-राहत दल के लोगों ने टनल के मुहाने पर बाबा बौखनाथ देवता की पूजा-अर्चना की। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी श्रमिकों के लिए बौखनाथ देवता की आराधना की। वहीं गांव वालों ने टनल स्थल के पास से स्थानीय देवता की डोली निकाली। साथ ही पूजा-अर्चना की। इस तरह काफी संख्या में ग्रामीण स्थानीय देवता की जय-जयकार डोली को टनल के पास पहले से स्थापित मंदिर में ले गए। इस तरह से कहा जा सकता है कि सरकार, प्रशासन और स्थानीय लोगों को विज्ञान और भगवना दोनों पर भरोसा है। स्थानीय लोग ईश्वर से आराधना कर रहे हैं कि टनल में फंसे सभी मजदूर स्वस्थ निकलें।
12 नवंबर यानी दिवाली वाले दिन से टनल में फंसे मजदूरों को लेकर सरकार और प्रशासन को उम्मीद थी कि बुधवार देर रात तक इस काम में सफलता मिल जाएगी। टनल के अंदर 800 MM की पाइप के आर-पार होते ही सभी 41 श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा, लेकिन टनल के अंदर फंसे मजदूरों और रेस्क्यू ऑपरेशन दल के लोगों को उस वक्त झटका लगा, जब मलबे के अंदर एक स्टील का टुकड़ा आ गया। टुकड़े की वजह से ऑगर मशीन ने काम करना बंद कर दिया था।
रेस्क्यू टीम के सदस्य हरपाल सिंह ने बताया था कि टनल के अंदर 10-20 मीटर तक और जाना है। मलबे में स्टील के कुछ टुकड़े आ जाने की वजह से ऑगर मशीन को काम रोकना पड़ा था।
उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने कहा कि श्रमिकों के बाहर निकलने के बाद उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का अस्पताल तैयार किया गया है। सुरंग के बाहर भी चिकित्सकों तथा उपकरणों से लैस एंबुलेंस तैयार खड़ी हैं।