Fraud Loan Apps: उत्तर प्रदेश के घोसी गांव में रहने वाले भरत सिंह को अपनी बहन की शादी के लिए पैसों की जरूरत थी। उन्होंने इंस्टाग्राम (Instagram) पर UnicashX नाम का लोन ऐप का पता चला और उन्होंने 15,000 रुपये का लोन इस ऐप से ले लिया। ना तो इंस्टाग्राम और ना ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से इस लोन ऐप (Loan App) के बारे में कोई खतरा बताया गया। भरत सिंह को भी इस ऐप को लेकर कोई शक नहीं हुआ क्योंकि ऐप दावा करता है कि यह एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) है और NBFC को RBI के द्वारा रेगुलेट किया जाता है।
लेकिन भरत सिंह को 15000 रुपये लेने के एवज में भारी रकम चुकानी पड़ी। उन्होंने ना केवल ऊंचा ब्याज चुकाया बल्कि लगातार मानसिक प्रताड़ना भी झेली। UnicashX को उन्हें 15000 रुपये लेने के बदले 50000 रुपये यानी तीन गुने से भी ज्यादा रकम देनी पड़ी। जब भरत सिंह ने उधार लिए गए 15000 रुपये से ज्यादा पैसे वापस नहीं किए तो उन्हें WhatsApp पर एक मैसेज मिला। इस मैसेज में लिखा था कि उन्हें इस तरह की गालियां मिलेंगी कि वह जहर खा लेंगे। इसके बाद व्हाट्सऐप पर लगातार उन्हें अनजान लोगों की तरफ से परेशान किया गया।
लेकिन क्या आपको पता है कि इस तरह का वाकया झेलने वाले भरत सिंह इकलौते नहीं है। पिछले 11 सालों के दौरान डिजिटल लेंडिंग मार्केट में बूम आया है और 2023 तक उम्मीद है कि यह बाजार 350 बिलियन डॉलर का हो जाएगा। साल दर साल इस इंडस्ट्री में करीब 40 फीसदी ग्रोथ रेट रिकॉर्ड की जा रही है। यह आकंड़ा एक क्रेडिट इन्फोर्मेशन कंपनी Experian की एक रिपोर्ट में दिया गया है। हालांकि, इनमें ज्यादातर योगदान NBFC और बैंक द्वारा पावर्ड जेनुइन फिनटेक कंपनियों का है।
इस मार्केट में सैकड़ों फर्जी ऐप्स भी आ गए हैं। कोई ऑफिशियल आंकड़ा नहीं है लेकिन इंडस्ट्री विशेषज्ञों की मानें तो गैरकानूनी लेंडिंग मार्केट करीब 700-800 मिलियन डॉलर के आसपास का हो सकता है।
पिछले चार महीनों से ज्यादा समय के दौरान हमारे सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस ने कई सारे स्टेकहोल्डर्स से बात की है। इनमें उधार लेने वाले, फिनटेक इनंटरमीडियरीज, सरकारी अफसर, बड़ी टेक कंपनियां और पूर्व RBI अधिकारी शामिल हैं। इन ऐप के झांसे में आए कई पीड़ितों और गवाहों से एक कॉमन बात की तरफ इशारा मिलता है और वो है किसी सरकारी और रेगुलेटरी नॉर्म्स का ना होना। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बहुत कम पैसा लेते हैं और फ्रॉड यहां खुलेआम अपने फेक लोन ऐप्स का विज्ञापन करते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास ना तो ऑथेंटिक रजिस्टर्ड और ना ही फेक लोन ऐप्स की कोई लिस्ट है।
पिछले कुछ सालों के दौरान फ्रॉड कंपनियां सुविधाजनक डिजिटल लेंडिंग की तेजी से हो रही ग्रोथ के चलते मशरूम की तरह उग आई हैं। सरकार भी इन कंपनियों से लोहा लेने के लिए स्टेकहोल्डर्स के साथ एक तय दिशानिर्देश के लिए अभी तक सहमति नहीं बना सकी है। 2020 से लेकर अभी तक इंडियन एक्सप्रेस ने भी कई दर्जन ऐसे मामलों को रिपोर्ट किया है जिनमें इस तरह के गैरकानूनी लोन ऐप्स के जाल में फंसकर लोगों ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली।
इस तरह के मामलों पर विचार-विमर्श करने के लिए हाल ही में 13 अक्टूबर को एक मीटिंग का आयोजन हुआ। इसमें मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस, RBI और मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY) शामिल हुए। मीटिंग में MeitY ने सुझाव दिया कि RBI लेंडिंग ऐप्स के लिए know-your-customer (KYC) ला सकती है। यह प्रोसेस ठीक वैसा ही होना चाहिए जैसा कि यूजर्स को बैंक अकाउंट खोलने से पहले करना होता है।
इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, ‘हम कंपनी KYC प्रोसेस को Know Your Digital Finance App (KYDFA) के नाम से जानते हैं।’
सितंबर 2022 में RBI ने डिजिटल लेंडिंग के लिए गाइडलाइन रिलीज की थी जो सिर्फ रेगुलेटेड इकाइयों जैसे बैंक और NBFCs के लिए ही थी। इसलिए, अगर कोई लेंडिंग ऐप और सर्विस प्रोवाइडर कोई गड़बड़ी करता है तो RBI को बैंक या NBFC का दरवाजा खटखटाना होगा।
लेकिन इस गाइडलाइन और प्रोसेस से फ्रॉड ऐप्स की समस्या का हल नहीं होता है। ये फ्रॉड ऐप्स किसी बैंक या NBFC से जुड़े नहीं हैं और इनका शिकार मिड-टू-लो इनकम वाले लोग जिनमें छात्र, छोटे दुकानदार, टियर III और टियर IV शहरों में काम कर रहे नौकरीपेशा वे लोग शामिल हैं जिन्हें बैंक से निराशा हाथ लगती है।
आरबीआई ने इस बारे में कुछ कदम जरूर आगे बढ़ाया था लेकिन फिर उसे वापस खींच लिया। 2022 में गैरकानूनी लोन ऐप्स पर हुई एक बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल हुई थीं। इस बैठक में यह फैसला हुआ था कि RBI लीगल लेंडिंग ऐप्स की एक लिस्ट तैयार करेगा और MeitY यह सुनिश्चित करेगा कि Google और Apple ऐप स्टोर पर सिर्फ ये ऐप्स ही डाउनलोड के लिए उपलब्ध रहें। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में यह पता चला कि आरबीआई के लिए यह काम ‘मुश्किल’ साबित हुआ है और इस बारे में अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है।
इसी तरह, आरबीआई के एक वर्किंग ग्रुप ने अगस्त 2022 में एक इन्डिपेन्डेन्ट मल्टी-स्टेकहोल्डर बॉडी- Digital India Trust Agency बनाने का प्रस्ताव दिया था जो डिजिटल लेंडिंग ऐप्स को वेरिफाई कर सके। लेकिन अभी तक इस एजेंसी का भी कुछ अता-पता नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा पूछे गए सवालों की एक लंबी फेहरिस्त का अभी तक आरबीआई की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया है।
सरकार और नियामक संस्थाओं के नियमों की अनदेखी कर फेसबुक, व्हाट्सऐप, गूगल और ऐप्पल व प्ले स्टोर जैसे प्रचलित प्लेटफार्म पर धोखाधड़ी करने वाले फर्जी ऐप का जोर-शोर से प्रचार किया जाता है। और इसका शिकार बनते हैं इन ऐप के जरिए कर्ज लेने वाले लोग जिन्हें आखिर में लोन चुकाने के लिए प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है।
इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लोन देने वाले गैरकानूनी ऐप जिनको लेकर सरकार ने भी चेतावनी जारी कर रखी है, उनके विज्ञापन लगातार लोगों को दिखाई दे रहे हैं। जबकि दावा ये किया जाता है कि फिल्टर का इस्तेमाल करने के बाद फर्जी तरीके से फल फूल रहे लोनिंग एप आपकी टाइमलाइन पर नजर नहीं आएंगे। उदाहरण के लिए सितंबर के महीने में गृह मंत्रालय ने अपने ‘साइबर दोस्त’ अभियान के तहत विंडमिल नाम के लोन ऐप को फर्जी पाया था। इन सबके बावजूद ठीक एक महीने बाद 11 नवंबर को इंडियन एक्सप्रेस ने पाया कि फेसबुक और इंस्टाग्राम दोनो ही प्लेटफार्म पर विंडमिल एप का विज्ञापन नजर आ रहा है।
गूगल और प्ले स्टोर ने हजारों एप्लीकेशन को अपने स्टोर पर ब्लॉक किया है। लेकिन धोखाधड़ी करने वाली इन कंपनियों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। मान लीजिए एक सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले शख्स को इंस्टाग्राम पर ‘पैसा वर्ल्ड’ नाम के किसी फर्जी लोन ऐप का विज्ञापन नजर आया और जैसे ही वो उस पर क्लिक करता है वो लिंक उसे एक ऐसे ऐप स्टोर पर ले जाता है जो देखने में गूगल के प्ले स्टोर जैसा दिखता है।
ये फेक ऐप्स अपनी सर्विसेज के नेचर के चलते आसानी से गूगल और ऐप्पल को धोखा दे देते हैं। ये ऐप्स खुद को लोन कैलकुलेटर्स या लोन एग्रिगेटर्स के तौर पर पेश करते हैं और कई बार तो ये खुद को एक फूड रेसिपी रिकॉर्डर के तौर पर दिखाते हैं ताकि कंपनियों के रिव्यू प्रोसेस के राडार से पास हो सकें।
ऐप्पल ने Cute Sweet Food Record और Kevin Basketball Train Plan नाम के ऐप्स को हाल ही में ऐप स्टोर से हटाया है। ये ऐप्स Trust Loans नाम के एक प्लेटफॉर्म से इंस्टेंट लोन ऑफर कर रहे थे। इन ऐप्स ने खुद को जनरल हेल्थ और फिटनेस ऐप के तौर पर पेश किया था और ऐसा दिखाया था कि लोन सर्विसेज ने इनका कोई लेनादेना नहीं है। ऐप्पल ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में यह जानकारी दी। रिव्यू के बाद इन ऐप्स ने गलत तरीके से अपने फीचर्स और फंक्शन को बदल लिया।
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में गूगल के एक प्रवक्त ने कहा कि कंपनी लगातार अपने यूजर्स को उभरते हुए थ्रेट और खराब ऐप्स से बचाने के लिए सभी प्रोडक्ट्स की पॉलिसी को अपडेट करती रहती है। कंपनी ने यह भी कहा कि यह किसी भी ऐप को यूजर्स को धोखा देने की कोशिश की अनुमति नहीं देती है।
इंडियन एक्सप्रेस ने मेटा से भी इस तरह के विज्ञापनों को पब्लिश करने से पहले कंपनी रिव्यू से जुड़े सवाल पूछे। लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियां फेक लोन ऐप्स के विज्ञापनों को गंभीरता से मॉनिटर नहीं कर रही हैं। अधिकारी ने अपना नाम ना छापने की बात कहते हुए बताया, ‘यह एक बड़ी समस्या है, इन विज्ञापनों से अच्छी खासी रकम कमाई जाती है। यह व्यवसायिक मुनाफा कमाने के अलावा और कुछ भी नहीं है क्योंकि ये प्लेटफॉर्म इस तरह के विज्ञापनों को फिल्टर ना करके अच्छा काम नहीं कर रहे हैं।’
हालांकि, एक सीनियर सोशल मीडिया एग्जिक्युटिव ने कहा कि सरकार इस तरह की एक्टिविटीज को बंद करवाती है तो कई बार वैध ऐप्स पर भी असर पड़ता है। इसी साल यानी फरवरी 2023 में केंद्र सरकार ने 90 ऐसे ऐप्स को बंद कर दिया जो फेक माने जा रहे थे और इनमें वैध कंपनियां जैसे KreditBee, LazyPay और Kissht समेत कई दूसरे ऐप्स पर भी आंच गई और इन पर ताला गया।
हालांकि, सही दस्तावेज देखने के बाद सरकार ने इन ऐप्स से बैन हटा दिया। बंद होने वाले ऐप के एक एग्जिक्युटिव ने उस समय कहा था कि इस तरह के नियम के चलते ग्राहकों का भरोसा जीतने में मुश्किल होगी।
लोन ऐप का शिकार हुए भरत सिंह के पास आज भी प्रताड़ना वाले मैसेज और कॉल आते रहते हैं। भरत सिंह का कहना है कि लोन ऐप ने उन्हें UnocashX की वेबसाइट पर रीडायरेक्ट किया। जहां यह ऐप दावा करता है कि यह Kemex Engineering Ltd नाम की NBFC से जुड़ा है और इसके पास RBI से मिले सर्टिफिकेट की एक फोटो भी है। उन्होंने बताया, ‘मैंने इस ऐप पर भरोसा कर लिया और 15000 रुपये उधार ले लिए। यह मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी।’ बता दें कि Kemex एक RBI-रजिस्टर्ड NBFC है।
इंडियन एक्सप्रेस ने जब Kemex के डायरेक्टर विनय शंकर से संपर्क किया तो उन्होंने बताया, ‘हम किसी भी डिजिटल लेंडिग एप्लिकेशन के जरिए किसी तरह का लोन ऑफर नहीं करते।’
यह बात भी सच है कि वैध NBFC भी UnicashX जैसे सैकड़ों लोन ऐप्स के चलते चिंतित हैं क्योंकि कुछ ऐप्स के चलते पूरा मार्केट खराब होता है। NBFC इंडस्ट्री बॉडी Finance Industry Development Council के डायरेक्टर रमन अग्रवाल का कहना है, ‘कुछ RBI रजिस्टर्ड और हाई रेटिंग वाली NBFCs को गैरकानूनी लेंडिंग ऐप्स द्वारा गलत तरीके से दिखाया जा रहा है और चिंता की बात है कि यह समस्या NBFCs के लिए बहुत घातक हो सकती है, इसलिए अब इस पर किसी फैसला लेने की जरूरत है।’
Experian के मुताबिक, बैंक, NBFCs और फिनटेक कंपनियां जैसे Paytm, Cred, Indifi और KreditBee द्वारा लीड किए जा रही कुल डिजिटल लेंडिंग 2023 में 80 बिलियन डॉलर का आंकड़ा छू सकती है। 10 साल पहले यह आंकड़ा 5 बिलियन डॉलर ही था। अधिकतर डिजिटल लेंडिंग ऐप्स का मालिकाना हक या तो किसी बैंक या NBFCs के पास है या फिर किसी NBFCs के साथ इनकी पार्टनरशिप है। उदाहरण के लिए पेटीएम ने जिन NBFCs के साथ पार्टनरशिप की है उनमें आदित्य बिरला कैपिटल, हीरो फिनकॉर्प, पीरामल फाइनेंस, क्लिक्स कैपिटल आदि शामिल हैं। Cred के पास इन-हाउस NBFC है।
(Written By- Soumyarendra Barik, Indian Express)