Delhi Water Crisis: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जल्द ही पीने के पानी की किल्लत हो सकती है। अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री आतिशी मार्लेना ने दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) और राष्ट्रीय राजधानी में पेयजल आपूर्ति (Water Crisis)) को लेकर बड़ा बयान दिया है। आतिशी ने दावा किया कि चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार के कहने पर वित्त सचिव आशीष वर्मा ने अगस्त से जल बोर्ड के सभी फंड बंद कर दिए हैं। जल मंत्री आतिशी ने दिल्ली के उपराज्यपाल से तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
आतिशी ने कहा कि वित्त मंत्री के लिखित आदेश के बाद भी वित्त सचिव फंड जारी नहीं कर रहे। इसके चलते जलबोर्ड के कर्मचारियों की सैलरी और रूटीन कार्यों के लिए भी पैसे नहीं हैं। आतिशी ने कहा कि पैसे नहीं मिलने के चलते अब सभी ठेकेदारों ने काम करने से मना कर दिया है।
मंत्री आतिशी ने यह भी दावा किया कि आने वाले दिनों में दिल्लीवासियों को कई इलाकों में पानी की भारी किल्लत, गंदा पानी और सीवर ओवरफ्लो जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इसकी वजह से महामारी का भी खतरा पैदा हो सकता है। दिल्ली की मंत्री ने कहा कि यह एक इमरजेंसी जैसे हालात हैं। आतिशी ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है।
दिल्ली में उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री में क्षेत्राधिकार और नौकरशाही पर अधिकार को लेकर नया संशोधन बिल पारित होने का असर अब दिखाई देने लगा है।
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निपटने में सीएम अरविंद केजरीवाल की सरकार कमजोर पड़ती नजर आ रही है तो दूसरी तरफ अब ठंड के मौसम में दिल्ली वालों पर पानी संकट का खतरा मंडरा रहा है। पेयजल आपूर्ति मंत्री आतिशी ने कहा कि अगर दिल्ली के मुख्य सचिव ने फंड जारी नहीं किए तो दिल्ली के कई इलाकों में पेयजल प्रभावित हो सकता है।
अगर देश की राजधानी की बात करें तो भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा जारी एक रिपोर्ट में सामने आया था कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा वितरित किया जाने वाला पानी बीएसआई मानकों पर खरा नहीं उतरता है और वह पीने योग्य नहीं है। हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेयजल की हालत अधिक अच्छी नहीं है। वहां भी लगभग 70 फीसद लोग प्रदूषित पानी पीने और 33 करोड़ लोग सूखे वाली जगहों में रहने को मजबूर हैं। भारत में कुल मिलाकर लगभग 70 फीसद जल प्रदूषित है। देश में पहले से ही सीमित मात्रा में जल उपलब्ध है, बावजूद इसके जल की बर्बादी निरंतर जारी है। यह प्रवृत्ति खतरनाक है। जिस रफ्तार से पानी की बर्बादी हो रही है, उसके चलते हमारा आने वाला कल बेहद भयावह हो सकता है। भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। नदियां सूख रही हैं। दलदली भूमि यानी वेटलैंड भी खतरे में हैं।