उत्तरकाशी में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल के एक हिस्से के ढह जाने की वजह से 41 मजदूरों की जान अभी भी बीच मझधार में फंसी हुई है। तमाम एजेंसिया, सरकार साथ मिलकर काम कर रही हैं, लगातार रेस्क्यू करने की कोशिश जारी है। लेकिन जिस रफ्तार की उम्मीद की गई, वो अभी तक नहीं दिख पाई है, जो रणनीतियां भी बनाई गई हैं, जमीन पर उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
अब इस बीच 9 दिन बाद मजदूरों को टनल के अंदर खाना नसीब हुआ है। बताया जा रहा है कि एक पाइप के जरिए ही उन तक खिचड़ी-दलिया पहुंचाया गया है। अभी तक तो उन्हें ड्राई फ्रूट्स और वेफर्स जैसी सूखी चीजें दी जा रही थीं, लेकिन 9 दिनों बाद उन्हें खाना नसीब हुआ है। जमीन पर विस्फोटक स्थिति को देखते हुए इसे भी एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। टनल के भीतर जैसे हालात हैं, तब जिंदा रहने के लिए पर्याप्त खाने का मिलना भी जरूरी है। उस दिशा में प्रशासन का ये कदम कुछ राहत जरूर देने वाला है।
वैसे बड़ी बात ये भी है कि अब मजदूरों को लगातार खाने की सप्लाई की जा सकेगी। असल में मलबे के पार कर एक 6 इंच मोटी पाइप मजदूरों के काफी नजदीक तक पहुंचा दी गई है। उस पाइप के जरिए ही प्लास्टिक की बोतलों में खिचड़ी-दलिया भेजा गया है। डॉक्टरों से पूछने के बाद ही इस समय इन मजदूरों की डाइट तैयार की जा रही है। आने वाले दिनों में भी अब इस पाइप के जरिए ही दूसरी जरूरी चीजें भी भेजी जाएंगी।
यहां ये समझना जरूरी है कि इस समय मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कई प्लान्स पर काम किया जा रहा है। दिक्कत ये है कि टनल में गिरा मलबा इतना ज्यादा है कि उससे पार पाना ही सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। ड्रिल के जरिए कुछ हद तक मलबे को हटाने का काम जरूर हुआ है, लेकिन मजदूरों तक रास्ता बनाना अभी भी दूर है। वर्टिकल ड्रिलिंग के जरिए जरूर एक नई कोशिश शुरू की गई है, लेकिन मजदूरों के पास समय काफी कम है और ये रेस्क्यू उतना ज्यादा ही जटिल बनता जा रहा है।
वैसे इस मामले में अब उत्तराखंड हाई कोर्ट भी सक्रिय हो गया है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य से केंद्र सरकार तक से जवाब मांगा गया है, 48 घंटे के भीतर रेस्क्यू को लेकर अपडेट देने के लिए कहा गया है। यानी कि ये मामला अब अदालत तक पहुंच चुका है और सभी अधिकारियों की जवाबदेही तय होने जा रही है।