राजस्थान में अब मतदान का दिन बेहद नजदीक है। मतदान से पहले हर दल ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई है। राज्य में 23 तारीख की शाम को प्रचार रुक जाएगा। राज्य में इस बार बीजेपी वापसी के दावे ठोक रही है। इसके लिए उसने हर मोर्चे पर तैयारी कर ली है। बीजेपी न सिर्फ चुनाव में कन्हैया लाल की हत्या का मामला उठा रही है बल्कि गौर करने वाली एक बात यह भी है कि उसने राज्य की तीन मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर संतों को उतारकर राज्य में एक नेरेटिव सेट करने की कोशिश की है। उसने राज्य में एक भी मुस्लिम को कैंडिडिट नहीं बनाया है।
बीजेपी ने जयपुर की हवा महल से बालमुकुंद को उतारा है। यह एक मुस्लिम सीट है। हवा महल विधानसभा सीट पर बालमुकुंद का मुकाबला कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी आरआर तिवाड़ी से है। इसी तरह पोकरण में बीजेपी ने प्रतापुरी को मैदान में उतारा है। यहां प्रतापुरी की टक्कर कांग्रेस के सालेह मोहम्मद से है। तिजारा में बीजेपी ने सांसद बालकनाथ पर भरोसा जताया है। बालकनाथ यहां कांग्रेस के इमरान खान से टक्कर ले रहे हैं। इमरान खान पहले बसपा में थे लेकिन उन्हें मायावती ने टिकट में भी दिया था लेकिन वह दल बदल कांग्रेस में शामिल हो गए।
हवा महल विधानसभा सीट पर साल 2018 में कांग्रेस पार्टी के डॉ. महेश जोशी को जीत हासिल हुई थी। उन्होंने बीजेपी के सुरेंद्र पारिख को 9 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी। महेश जोशी को 85,474 वोट मिले थे। पोकरण विधानसभा सीट पर 2018 में सालेह मोहम्मद को जीत हासिल हुई थी। उन्हें 82,964 वोट मिले थे और उन्होंने बीजेपी के प्रतापुरी को करीब 900 वोटों से हराया था। दोनों एक बार फिर चुनाव में आमने-सामने हैं। तिजारा विधानसभा सीट पर पिछली बार बीएसपी के संदीप कुमार ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को 4 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था जबकि बीजेपी यहां तीसरे नंबर पर रही थी।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में करीब 5.25 करोड़ वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें से करीब 62 लाख वोट मुस्लिम समुदाय से हैं। राज्य में करीब 40 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव दिखाई देता है। जिन जगहों पर मुस्लिम मतदाता रिजल्ट प्रभावित करते हैं, उनमें बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, भरतपुर, अलवर, जयपुर, चूरू, अलवर, झुंझनू और सीकर शामिल है।
बीजेपी ने इस बार एक भी मुस्लिम को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया है जबकि उसने 2018 में युनुस खान के रूप में एक टिकट मुस्लिम समुदाय को दिया था। वह चुनाव हार गए थे। इससे पहले बीजेपी 2013 में 4 (2 जीते), 2003 में 1 (1 जीता) और 1998 में 4 (1 जीता) मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दे चुकी है। दूसरी तरफ कांग्रेस हर बार करीब 15 से 18 टिकट मुस्लिम समुदाय के नेताओं को दे रही है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 15 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे जिनमें से 8 जीतने में सफल रहे थे। इस बार भी कांग्रेस ने इतने ही टिकट मुस्लिम समुदाय के नेताओं को दिए हैं।