चीन के साथ भारत के सीमा विवाद और भारतीय क्षेत्र में चीनी सैनिकों की मौजूदगी को लेकर अक्सर बहस होती रही है। इस मामले में लद्दाख के उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) बीडी मिश्रा (BD Mishra) का कहना है कि ‘भारत चीन के लिए बड़ा मुद्दा’ है, वो हमारे PM से परेशान, उनकी दाल नहीं गल रही। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का सूरत-ए-हाल बताया।
उन्होंने कहा कि गलवान घाटी में चीन हमारी सोच से बहुत पीछे हैं। वे बोले, “गलवान को लेकर उनका आकलन सेना में चालीस साल तक सेवा करने और 1962 में भारत-चीन युद्ध में ऑपरेशन का नेतृत्व करने के अपने अनुभव पर आधारित है।” उन्होंने कहा, “उपराज्यपाल का पद संभालने के बाद मैं गलवान और बार्डर एरिया के हर उस क्षेत्र में गया, जहां लोग कह रहे थे कि चीन हमारी सीमा में मौजूद है। गलवान घाटी में चीन हमारी सीमा के बारे में हमारी सोच से बहुत पीछे हैं। यह अलग मुद्दा है कि वे आरोप लगाते हैं कि हम उनके क्षेत्र में बैठे हैं।”
दोनों देश जिस भूमि को अपना बताते हैं, उसको लेकर दोनों के बीच मतभेद है। उन्होंने कहा, “चीन उस भूमि को अपना बता रहा है, जिस पर हमारी सेना और आम लोग रहते हैं। इसी तरह हमारी सोच उनकी तरफ की उस जमीन के बारे में है, जिस पर कोई नहीं रहता है। भारत के क्षेत्र में चीनी सेना का एक भी जवान नहीं है। अफवाहें गलत हैं।”
लद्दाख में एलजी का चार्ज संभालने से पहले छह साल तक अरुणाचल प्रदेश में गवर्नर रहे बीडी मिश्रा ने कहा भारत चीन की लिए बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा, “उनका सिद्धांत शोषण का है। चाहे पाकिस्तान हो, श्रीलंका हो या अफगानिस्तान हो। हर जगह वह वही करते हैं। पीएम मोदी के कड़े रुख से उनकी दाल नहीं गल रही है।”
भारत की आज की स्थिति की तुलना 1962 से करते हुए उन्होंने कहा कि 1962 के युद्ध के दौरान भारत का शीर्ष नेतृत्व तैयार नहीं था, सभी हथियार आयात किए गए थे, और सेना भी तैयार नहीं थी। दूसरी ओर आज भारतीय सेना की रसद बहुत बेहतर है, चीन सीमा पर हमारे टैंक हैं, सड़कें बना दी गई हैं तथा जवानों का मनोबल और नेतृत्व में उनका भरोसा अब तक का सबसे ऊंचा है।”
मिश्रा ने कहा, “आज सभी देश भारत के साथ सहयोग करने को तैयार हैं, क्योंकि हम मजबूत हैं। हम उनके पास कटोरा लेकर भिक्षा मांगने नहीं जा रहे हैं।”
फरवरी में आरके माथुर से उपराज्यपाल का पदभार संभालने वाले बीडी मिश्रा ने लद्दाख के राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच यह भी कहा कि इस क्षेत्र के लिए राज्य का दर्जा “व्यवहारिक विकल्प” नहीं है, लेकिन स्थानीय आबादी के हितों की रक्षा की जाएगी।