IPS Alok Sharma Appointed New SPG Director: केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार देर शाम प्रधानमंत्री की सुरक्षा करने वाली स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के एडिशनल डायरेक्टर आलोक शर्मा को एसपीजी का नया डायरेक्टर नियुक्त किया है। आलोक शर्मा वर्तमान में एसपीजी में बतौर आईजी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में पिछले छह साल से तैनात हैं। वो 2016 में एडीजी बने। साल 2017 में उनकी केंद्र में प्रतिनियुक्ति हुई।
नए एसपीजी डायरेक्टर आलोक शर्मा 1991 बैच के यूपी कैडर के IPS अधिकारी है। वो उत्तर प्रदेश के अनूपशहर शहर क्षेत्र के गांव रूपवास के रहने वाले हैं। उनकी उच्च शिक्षा अलीगढ़ से हुई। उन्होंने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से बीटेक किया। इसके बाद उन्होंने वहीं रहते हुए यूपीएससी की तैयारी की और आईपीएस में टॉप रैंक हासिल की। 25 साल की सेवा के बाद शर्मा को 2016 में प्रमोट कर केंद्र सरकार द्वारा डीजी सेंट्रल बनाया गया था।
आलोक शर्मा 6 सितंबर 2023 को एसपीजी डायरेक्टर अरूण कुमार सिन्हा की कैंसर से मौत हो जाने के बाद से एसपीजी की कमान संभाल रहे थे। वहीं, शुक्रवार को कैबिनेट की नियुक्ति कमेटी द्वारा हुई बैठक के बाद पूरे देश से केवल 14 आईपीएस अधिकारियों को अनुमोदित कर डीजी बनाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबकि, 1991 में ट्रेनिंग के दौरान तत्कालीन रक्षा मंत्री द्वारा 7 मेडल देकर आलोक शर्मा को सम्मानित किया गया। आलोक शर्मा की पहली नियुक्ति पीलीभीत जनपद में हुई। इसके बाद वह बुलंदशहर, सहारनपुर, उन्नाव, मुरादाबाद सहित कई जिलों के एसएसपी रहे। उसके बाद डीआईजी और आईजी के पद पर भी रहे।
एसपीजी एक ऐसी फोर्स है जो प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सुरक्षा में तैनात की जाती है। एसपीजी एक आला दर्जे का कुशल सुरक्षा दस्ता है। यह शारीरिक, मानसिक, युद्ध और भारी भीड़ के बीच भी सुरक्षा की कला में ट्रेंड होता है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात एसपीजी सुरक्षाकर्मी सन-ग्लास के साथ काले रंग का वेस्टर्न सूट पहने रहते हैं और ये अपने साथ दो संचार स्थापित करने के लिए कानों में ईयरपीस भी लगाए होते हैं। ये अपने साथ एक हैंडगन भी छिपा कर रखते हैं। कभी-कभी ये सफारी सूट भी अवसर विशेष पर पहने होते हैं। स्पेशल कमांडो की ट्रेनिंग लिए ये सुरक्षाकर्मी अल्ट्रा मॉडर्न असाल्ट राइफल और अन्य प्रोटेक्शन से लैस रहते हैं।
1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में एक मजबूत सुरक्षा कवच की मांग उठी। उसके पहले दिल्ली पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स ने इंदिरा गांधी के आवास और उनकी सुरक्षा मुहैया कराए हुए थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री की हत्या के बाद 1985 में बिरबल नाथ कमेटी का गठन हुआ और उसी कमेटी ने सुरक्षा के संबंध में जरूरी सुझाव दिए। जिसके बाद1988 में एसपीजी एक्ट संसद से पारित किया गया। जब वीपी सिंह 1989 में प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से एसपीजी सुरक्षा कवर हटा लिया। लेकिन, 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद वीपी सिंह को काफी आलोचनाएं झेलनी पड़ीं। इसके बाद एसपीजी एक्ट में संशोधन करके इसे सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों को कम से कम 10 सालों तक इसकी सुरक्षा कवर प्रदान किया गया।
साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने एक बार फिर एसपीजी एक्ट में संशोधन किए। उस दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों को स्वत: मिलने वाले 10 साल के एसपीजी प्रोटेक्शन को घटाकर एक साल कर दिया। इसके बाद भी यदि संबंधित पूर्व प्रधानमंत्री के जीवन को खतरा होता है तो हालात की समीक्षा के बाद उसे एसपीजी मुहैया कराए जाने का प्रावधान रखा गया। गौरतलब है कि वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में ही पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा, आईके गुजराल और पीवी नरसिम्हा राव से एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई थी। 2019 में मोदी सरकार ने भी एसपीजी एक्ट में संशोधन किया।
नवंबर, 2019 में मोदी सरकार ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी की विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) का सुरक्षा घेरा हटाने का फैसला किया था। सुरक्षा एजेंसियों ने बताया था कि कई मौकों पर तीनों नेताओं ने इस सुरक्षा का इस्तेमाल नहीं किया है। केंद्र सरकार ने इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सुरक्षा कवच कमजोर कर दिया था। पहले उनके पास स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) की सुरक्षा थी, लेकिन उन्हें सीआरपीएफ की Z प्लस सिक्यॉरिटी मुहैया कराई गई है।