चंद्रयान-3 को धरती से 36 हजार किलोमीटर दूर भेजने वाला हिस्सा अब जाकर वापस लौटा। इसरो के अनुसार, चंद्रयान -3 को 14 जुलाई 2023 को धरती से 36 हजार किलोमीटर दूर एक जिस लांचर में भेजा गया था, वह अब नीचे आकर गिर गया है। गुरुवार तड़के करीब ढाई बजे लांचर का एक हिस्सा धरती के वातावरण में घुसा और अमेरिका के पास उत्तरी प्रशांत महासागर में गिर गया। इसे किसी भी तरह से कंट्रोल नहीं किया जा सका। यह LVM-3M4 राकेट का क्रायोजेनिक पार्ट था। नासा के वैज्ञानिकों ने इसे लोकेट किया और महासगर में उस जगह को भी लोकेट किया, जहां यह गिरा।
लांचिंग के बाद चंद्रयान से अलग होते ही लांचर धरती के चारों ओर चक्कर लगा रहा था। वह धीरे-धीरे पृथ्वी के नजदीक आ रहा था कि 15-16 नवंबर 2023 की रात यह हिस्सा अमेरिका के तट से दूर उत्तरी प्रशांत महासगर में गिरा। नार्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORDA) इसे ट्रैक कर रहा था। उसने ट्रैकिंग के बाद इसरो से बातचीत करके अंतरिक्ष से धरती की ओर आ रहे लांचर की पहचान की और इसके गिरने के बाद इसरो ने भी इस बात की पुष्टि की है। इसरो के अनुसार, धरती की निचली कक्षा से किसी भी चीज को धरती पर लौटने में 124 दिन लगते हैं। ऐसा ही कुछ LVM-3M4 लांचर के साथ हुआ। उसके धरती पर गिरने के दौरान कोई हादसा न हो, इसलिए स्पेस में ही इसका पैसिवेशन कर दिया गया था। इसका ईंधन पूरी तरह निकाल दिया गया था।
इसरो ने चंद्रयान के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को लेकर भी बड़ा खुलासा किया है। 14 जुलाई 2023 को लांचिंग के बाद 2 सितंबर 2023 को स्लीप मोड में गया विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान अब तक सो रहा है। ISRO लगातार उसे जगाने की कोशिश में है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल पाई है। लैंडर और रोवर को पृथ्वी के 14 दिन के दिन- रात के चक्र के हिसाब से तैयार किया गया था। ऐसे में विक्रम रोवर को 14 दिन बाद जाग जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है। ज्ञात हो कि आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लांच हुए चंद्रयान -3 ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की थी। इसके साथ ही भारत चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा और साउथ पोल पर लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया था। इसके बाद 14 दिन तक अहम जानकारियां जुटाई गईं।