मौसम में बदलाव को देखते हुए भारत-पाकिस्तान हुसैनीवाला बॉर्डर पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी का समय बदल दिया गया है। 16 नवंबर से अब यह आयोजन शाम 5 बजे की जगह 4.30 बजे होगा। बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार दोनों देशों की सहमति के बाद रिट्रीट का समय बदला गया है।भारत-पाकिस्तान दोनों देशों के बीच तीन स्थानों पर रिट्रीट सेरेमनी आयोजित की जाती है, जिसमें पाकिस्तान रेंजर्स के साथ भारतीय सीमा सुरक्षा बल के जवान भी हिस्सा लेते हैं।
रिट्रीट सेरेमनी अमृतसर में अटारी सीमा, फाजलिका में सैदके चौकी और फिरोजपुर में हुसैनीवाला सीमा पर होती है। इस रिट्रीट सेरेमनी को देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। बार्डर पर रोजाना सुबह भारत और पाकिस्तान अपने-अपने एरिया में अपने राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। शाम के समय दोनों देशों की ओर से बेहतरीन परेड प्रस्तुत की जाती है। भारत की ओर से पोस्ट पर तैनात बीएसएफ के जवान परेड करते हैं।
हुसैनीवाला बार्डर पर परेड की एक खास बात यह भी है कि परेड शुरू करने से पहले वहां मौजूद पाकिस्तान और भारत के अफसरों में से जो भी सीनियर होता है, दोनों देशों के जवान उसी सीनियर अफसर को सैल्यूट कर बाकायदा उसकी अनुमति लेकर परेड शुरू करते हैं। एक दिन पाकिस्तान का अफसर मौजूद होता है और एक दिन हिंदुस्तान का। इस दौरान दोनों देशों के जवान एक-दूसरे की सरजमीं पर जाकर सीनियर अफसर को सैल्यूट कर अनुमति लेते हैं।
‘बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी’ सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है। दुनियाभर में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा रही है। लड़ाई के दौरान सेनाएं सूर्यास्त होने पर हथियार रखकर अपने कैंप में जाती थीं, तब एक संगीतमय समारोह होता था, इसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है। भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी।
करीब 40 मिनट तक चलने वाली इस रिट्रीट सेरेमनी के दौरान पूरा माहौल देशभक्ति से ओतप्रोत हो जाता है। भारतीय सीमा पर भारतीय और पाकिस्तानी नागरिक अपने देश के नारे लगाकर अपनी देशभक्ति दिखाते हैं। लोग देशभक्ति के गानों पर थिरकते नजर आते हैं। गौरतलब है कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के स्मारक हुसैनीवाला बॉर्डर के पास हैं। 1962 तक यह क्षेत्र पाकिस्तान के पास रहा।