यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा-डंडालगांव पर सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों को अभी तक नहीं निकाला जा सका है। इन मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अलग-अलग तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। बचावकर्मी मलबे में ‘माइल्ड स्टील’ पाइप डालने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन फिर से भूस्खलन होने से यह इसमें काफी दिक्कत आ रही है। अब दिल्ली से ड्रिलिंग मशीन भेजी गई है और बचाव में लगे अधिकारियों का कहना है कि मजदूरों को जल्द बाहर निकाल लिया जाएगा।
अभी तक मजदूरों को निकालने के लिए कई तरह के प्रयास किए गए हैं। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत खिसक रहे मलबे ने दी है। इस मलबे के ढेर को तोड़ने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं क्योंकि ढीली, लगभग भुरभुरी चट्टान लगातार गिर रही है। सोमवार रात तक कई भारी मशीनों ने लगभग 21 मीटर ढीला मलबा हटा दिया था लेकिन मलबे के रहते प्रोसेस 14 मीटर तक ही पूरा हो पाया है।
बुधवार को बचावकर्मी एक नया तरीका अपनाने की ओर ध्यान दे रहे हैं, जिसमें फंसे हुए मजदूरों के लिए हल्के स्टील पाइपों का 900 मिमी (3 फुट) चौड़ा स्थिर मार्ग बनाने के लिए ‘बरमा’ मशीन का उपयोग किया जाएगा। उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा कि यह पहली बार होगा कि भारत में बचाव अभियान के तहत “सुरंग के अंदर सुरंग” बनाई जाएगी। उन्होंने विश्वास जताया कि ’90 प्रतिशत से ज्यादा संभावना है कि योजना काम करेगी।
यहां अब ट्रेंचलेस तकनीक का उपयोग होगा। यह सुरंग के रुके पड़े रास्ते को खोलने के लिए उपयोग में ली जाएगी। गैस और तेल पाइपलाइन बिछाने के लिए ट्रेंचलेस तकनीक का उपयोग किया जाता रहा है। ‘ट्रेंचलेस’ तकनीक की मदद से 900mm चौड़े माइल्ड स्टील (MS) के पाइप का उपयोग कर एक रास्ता खोजा जा रहा है। ट्रेंचलेस तकनीक के जरिए राजमार्ग के नीचे सुरंग के माध्यम से पाइप स्थापित करना होता है और यहां भी ऐसा ही किया जाएगा। यह खुदाई के अन्य तरीकों की तुलना में जल्दी और बेहतर ढंग से काम करने वाली तकनीक भी है। यह तकनीक सुरंग ढहने के बचाव कार्यों में भी मूल्यवान हो सकती है, ताकि सुरंग ढहने या अधिक नुकसान पहुंचाए बिना भूमिगत फंसे व्यक्तियों तक पहुंच सके और उन्हें बचाया जा सके।
यह एक विशाल ड्रिल है जो मलबे के भीतर अपना रास्ता बनाती है। इसे अक्सर खोज और बचाव कार्यों में काम में लिया जाता है। मशीन में एक घूमने वाला पेचदार स्क्रू ब्लेड होता है जिसे बरमा (Auger Machine) के रूप में जाना जाता है जो एक घूमने वाले शाफ्ट से जुड़ा होता है, जो कंक्रीट, लकड़ी या मलबे के माध्यम से छेद करता है।