असम के डिब्रूगढ़ स्थित केंद्रीय जेल में रासुका के तहत बंद खालिस्तान समर्थक और स्वयंभू प्रचारक अमृतपाल सिंह की मां बलविंदर कौर अचानक सक्रिय हो गई हैं। उन्होंने कहा, “खालिस्तान केवल सिखों के लिए नहीं है, इसमें हिंदू भी हैं। खालसा राज के लिए आह्वान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। यह सभी के लिए है। इसमें हिंदू और दूसरे लोग भी शामिल हैं।”
उन्होंने सिख युवकों का आह्वान किया कि वे 19 नवंबर से शुरू हो रहे ‘अमृत संचार’ के लिए तख्त श्री केशगढ़ साहिब पर भारी संख्या में जुटें। उन्होंने कहा कि सरकार खालसा वहीर (Khalsa Vaheer) और अमृत संचार (Amrit Sanchar) के लिए अमृतपाल की पहल को नामंजूर कर दी थी। जबकि यह काम युवाओं में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जा रहा था।
बलविंदर कौर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 19 नवंबर को तख्त केशगढ़ साहिब, आनंदपुर साहिब में बंदी सिखों के लिए ‘अरदास’ किया जाएगा। उनके मुताबिक खालिस्तान का विचार महाराजा रणजीत सिंह के समय से है। यह कोई नई बात नहीं है।
अमृतपाल पर आरोप है कि वह अलगाववादी आंदोलन को भड़का रहा था। उस पर यह भी आरोप है कि पिछले कई महीनों से ‘वारिस पंजाब दे’ नामक संगठन के जरिए खालिस्तान के समर्थन में लोगों खासकर युवाओं को वह उकसा रहा था। उसे ब्रिटेन में बैठे खालिस्तान समर्थकों से मदद मिल रही थी। पंजाब में अपना जनाधार मजबूत करने के लिए अमृतपाल ने गुरुग्रंथ साहब की आड़ ली और सिख धर्म की रक्षा का नारा बुलंद किया था।
इस वजह से उसके साथ अच्छी संख्या में युवाओं की फौज जुड़ गई थी। उसकी ताकत तब समझ में आई जब उसके एक समर्थक को पुलिस की गिरफ्त से छुड़ाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने हथियारबंद होकर पंजाब के अजनाला थाने पर हमला कर दिया था। आखिरकार उसके उस समर्थक को छोड़ना पड़ा था। मगर अमृतपाल तभी से पंजाब पुलिस की नजर में चढ़ गया था। अजनाला की घटना के बाद वह खुलेआम केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय को चुनौती देने लगा था।