जम्मू-कश्मीर में दशकों से जारी आतंकवाद रोधी अभियानों (सीआइ-आप्स) और पूर्वी लद्दाख में पिछले करीब चार सालों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी विवाद जैसी जटिल सरहदी परिस्थितियों के बीच दुश्मन से मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अगर किसी अग्निवीर को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा तो उसे भारतीय सेना में चार साल बाद शत-प्रतिशत स्थायी नियुक्ति (परमानेंट कमीशन) मिलेगी।
सेना के सूत्रों ने बताया कि उसका यह निर्णय पिछले साल के मध्य में सशस्त्र सेनाओं (सेना, वायुसेना और नौसेना) में जवानों की चार साल की भर्ती के लिए जारी की गई रक्षा मंत्रालय की अग्निपथ योजना में स्थायी नियुक्ति पाने वाले 25 फीसद अग्निवीरों के भर्ती पैमाने (मेरिट लिस्ट) से जुड़े हुए दिशानिर्देशों का एक महत्वपूर्ण भाग है। जिसे पिछले महीने के अंत में 31 अक्तूबर को सेना द्वारा जारी किया गया है।
गौरतलब है कि मंत्रालय की तरफ से पिछले साल अग्निपथ योजना को जारी करते हुए ये स्पष्ट किया गया था कि चार साल की अवधि के बाद केवल 25 फीसद अग्निवीरों को ही सेना में स्थायी नियुक्ति प्रदान की जाएगी। जबकि 75 फीसद को चार साल बाद सेना से बाहर कर दिया जाएगा। सेना में फिलहाल करीब 40 हजार अग्निवीरों के दो बैच शामिल कर लिए गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि दिशानिर्देशों के हिसाब से अगर किसी अग्निवीर को आतंकवाद रोधी अभियानों या LAC विवाद जैसी कठिन परिस्थितियों में तैनात सेना की किसी यूनिट में तैनाती मिलती है तो उसे स्थायी नियुक्ति को लेकर दो तरह से फायदा होगा।
एक ओर चार साल की सेवा के दौरान हर वर्ष किए जाने वाले आकलन से उसे एक बार की छूट मिलेगी और दूसरी ओर दुश्मन देश की सेना के साथ किसी झड़प या संघर्ष की स्थिति में मातृभूमि की रक्षा के लिए प्रदर्शित की गई असाधारण वीरता के लिए सशस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति की तरफ से वीरता पुरस्कारों (अशोक चक्र, परमवीर चक्र, महावीर चक्र और सेना मेडल) से सम्मानित किए जाने पर अग्निवीर को 48 महीने बाद सेना में स्थायी नियुक्ति का मौका मिलेगा। इसमें हालांकि संबंधित अग्निवीर को चिकित्सा आधार पर और अनुशासन के मामले में भी अव्वल रहना पड़ेगा।
सेना ‘आर्मी साफ्टवेयर फार अग्निपथ एडमिनिशट्रेशन एंड नेटवर्किंग’ (आसान) के जरिए एक केंद्रीयकृत आंकड़ा कोष (डेटाबेस) तैयार कर रही है। जिसमें अग्निवीरों के भर्ती पैमाने को शाखा (आर्म), सेवा (रेजिमेंट) और लिंग (जेंडर) के आधार पर विस्तृत रूप से तैयार किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि वीरता पुरस्कारों के अलावा दिशानिर्देशों में एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदू को भी शामिल किया गया है। इसमें राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी खेलकूद गतिविधि में देश के लिए पदक जीतने वाले और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने वाले अग्निवीर को भी चार साल की अवधि के बाद सेना में स्थायी नियुक्ति का मौका मिलेगा।
सेना द्वारा चार वर्षों की सेवा के दौरान अग्निवीर का चार बार परीक्षाओं के जरिए उसका आकलन किया जाएगा। इसमें एक बार आकलन नियुक्ति केंद्र में होगा और बाकी तैनाती की यूनिटों में किया जाएगा। पहला आकलन 18 महीने की सेवा होने के बाद महीने भर के अंदर किया जाएगा। दूसरा तीस महीने की नौकरी होने के बाद एक महीने में होगा, तीसरा 30 से 31 महीने के अंदर और चौथा आकलन 42 वें महीने में किया जाएगा।