उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सुरंग में अभी तक फंसे मजदूरों का रेस्क्यू नहीं हो सका है। NDRF, SDRF सहित प्रशासन की अन्य टीमें मजदूरों को रेस्क्यू करने का पूरा प्रयास कर रही हैं लेकिन टनल में बार-बार मलबा आने की वजह से दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
अब खबर यह है कि सिल्क्यारा टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू टीमों ने नई तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। रेस्क्यू टीमें अब टनल में 40 mm के पाइप को इंस्टॉल कर मजदूरों को बाहर निकालने का रास्ता तैयार कर लेंगी। उम्मीद जताई जा रही है कि शाम तक मजदूर सुरंग से बाहर निकाल लिए जाएंगे।
दिवाली वाले दिन घटना के तुरंत बाद से बाद से ही सुरंग में फंसे श्रमिकों को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है। रविवार आधी रात के बाद मजदूरों से संपर्क होने के बाद उन्हें पीने का पानी और खाने के पैकेट भी पाइपलाइन के जरिए से कंप्रेसर की मदद से भेजे गए हैं। घटना स्थल पर पहुंचे आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि सुरंग में फंसे मजदूरों को मंगलवार रात या बुधवार तक बाहर निकाला जा सकता है।
उन्होंने बताया कि एक बड़े डायामीटर का स्टील पाइप डालकर फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “अब तक करीब 15-20 मीटर तक मलबा निकाला जा चुका है और यह प्रक्रिया जारी है। हम ढाई फुट व्यास का स्टील पाइप मंगा रहे हैं जिसे बोरिंग के जरिए मलबे में डाला जाएगा और उससे लोगों को बाहर निकाला जाएगा।” उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि हम कल रात या परसों तक फंसे लोगों को बाहर निकाल लेंगे।”
उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र द्वारा उपलब्ध सूची के अनुसार, सुरंग में फंसे श्रमिकों में से 15 झारखंड, आठ उत्तर प्रदेश, पांच ओडिशा, चार बिहार, तीन पश्चिम बंगाल, दो-दो उत्तराखंड और असम तथा एक हिमाचल प्रदेश के हैं।
धरासू एवं बड़कोट के बीच बन रही सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में सिलक्यारा की ओर से 270 मीटर अंदर 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा गिरने के कारण 40 व्यक्ति फंस गए। कुल 4531 मीटर लंबी सुरंग का 2340 मीटर हिस्सा सिलक्यारा की तरफ से और 1600 मीटर हिस्सा बड़कोट की तरफ से बन चुका है। घटना के कारणों की जांच के लिए उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की अध्यक्षता में गठित तकनीकी समिति ने भी मौके का निरीक्षण किया।