पिछले 30 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गांधीनगर से ‘राम नाम मंत्र लेखन यज्ञ’ की शुरुआत की। इस अभियान के तहत भक्त गुजरात में सोमनाथ मंदिर परिसर स्थित राम मंदिर में पोथियों में भगवान राम का नाम लिखेंगे। पोथियों को अगले साल 22 जनवरी को उद्घाटन के लिए अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में भेजा जाएगा। यह अभियान भाजपा के संरक्षक लालकृष्ण आडवाणी द्वारा अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए सोमनाथ से राम रथ यात्रा का नेतृत्व करने के 33 साल बाद आया है। 23 अक्टूबर 1990 को बिहार में तत्कालीन लालू यादव की सरकार द्वारा उनकी गिरफ्तारी के साथ यात्रा अचानक समाप्त हो गई थी।
श्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट (जो गिर सोमनाथ जिले में सोमनाथ मंदिर और कुछ दर्जन अन्य मंदिरों का प्रबंधन और रखरखाव करता है) ने भक्तों के लिए राम का नाम लिखने के लिए सोमनाथ में राम मंदिर में 10 पोथियां रखी हैं। जब राम-जन्मभूमि बाबरी मस्जिद मालिकाना हक का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में लंबित था, तब ट्रस्ट ने सोमनाथ मंदिर के सामने त्रिवेणी संगम के पास अपना राम मंदिर बनवाया था और 2017 में इसका उद्घाटन किया था।
ट्रस्ट द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, भक्तों को सोमनाथ मंदिर से अयोध्या के राम मंदिर तक समय-समय पर (या नियमित अंतराल पर) ले जाने के लिए एक बस की व्यवस्था की गई है, जहां “भक्तों के लिए राम का नाम लिखने के लिए विशेष किताबें और इसको लिखने वाले तैयार किए जाते हैं।” ट्रस्ट ने कहा कि ऐसी पुस्तकों में राम का नाम लिखने वाले प्रत्येक भक्त को भोजन उपलब्ध कराने की भी अलग व्यवस्था की गई है।
गुजरात में भाजपा नेता इस अभियान को 24 जनवरी को हर गांव में “उत्सव का माहौल” बनाने के पार्टी के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखते हैं। वेरावल के पूर्व आरएसएस पदाधिकारी और राज्य भाजपा सचिव झवेरीभाई ठकरार ने कहा, “भगवान राम सबके दिल में रहते हैं।” अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन 576 साल लंबी लड़ाई की जीत का प्रतीक होगा। लोगों में हिंदुत्व की अलख जगाने के लिए आडवाणी राम रथ यात्रा पर निकले और वह प्रयास अब भी जारी है। हर गांव में उत्सव होना चाहिए। हम आभारी हैं कि ट्रस्ट ने अपने यज्ञ के माध्यम से ऐसे प्रयासों को पूरक बनाने का निर्णय लिया है।”
उन्होंने कहा, “हमने पूरे देश में राममय माहौल बनाने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों की योजना बनाई है। भगवान राम भारत के सभी लोगों के लिए मानबिन्दु हैं। इसलिए मंदिर का उद्घाटन कोई राजनीतिक या धार्मिक आयोजन नहीं होगा। लोगों को यह समझना है कि यह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, एक राजनीतिक कार्यक्रम है, एक धार्मिक कार्यक्रम है या राम राज्य की शुरुआत का प्रतीक है।” ट्रस्ट सचिव और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के कार्यालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी योगेन्द्र देसाई ने कहा कि यह अभियान अधिक से अधिक लोगों को अयोध्या में राम मंदिर से जोड़ने के मूल विचार के साथ तैयार किया गया है।