कैश फॉर क्वेरी मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। सीबीआई जांच के बाद अब उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग हो गई है। ये एक्शन भी एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के बाद लिया जा सकता है। बड़ी बात ये है कि इससे पहले बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि इस मामले में सीबीआई जांच भी होने जा रही है। ऐसे में एक ही दिन में महुआ मोइत्रा को ये डबल झटका लग सकता है।
जानकारी मिली है कि एथिक्स कमेटी ने पूरे 500 शब्दों की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। उस रिपोर्ट में ही कहा गया है कि महुआ मोइत्रा की सदस्या को खत्म कर देना चाहिए। इस बात पर भी जोर दिया गया है कि इस पूरे मामले की तय समय में उचित जांच होनी चाहिए। अभी तक एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर टीएमसी सांसद ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इतना जरूर कहा गया है कि वे सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कह दिया है कि जांच एजेंसी सिर्फ उनके जूते गिन पाएगी।
इस केस की बात करें तो निशिकांत दुबे का आरोप है कि लोकसभा में गौतम अडानी की छवि बिगाड़ने के लिए मोइत्रा ने जानपूछकर ऐसे सवाल पूछे जिससे विवाद खड़ा हुआ। यहां तक कहा गया कि उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी के बाद मोइत्रा की लोकसभा की लॉग इन आईडी भी पहुंच चुकी थी, ऐसे में सवाल भी उनकी तरफ से ही लिखे जा रहे थे।
सूत्रों का कहना है कि महुआ मोइत्रा पर कार्रवाई के लिए 2005 के एक फैसले का हवाला दिया जा सकता है। जब पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में 11 सांसदों को निलंबित किया गया था। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। हालांकि 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इन सांसदों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को बरकरार रखा था। महुआ मोइत्रा के खिलाफ भी कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है।