Tamil Nadu BJP Chief K Annamalai: तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख के अन्नामलाई ने घोषणा की है कि अगर बीजेपी राज्य में सत्ता में आई तो मंदिरों के बाहर लगी पेरियार की मूर्तियों को हटा दिया जाएगा। अन्नामलाई का यह बयान श्रीरंगम में एक रैली के दौरान आया। अन्नामलाई ने 1967 की एक घटना का हवाला दिया, जब डीएमके पार्टी ने सत्ता संभालने के बाद मंदिरों के बाहर पट्टिकाएं लगाईं, जिसमें संदेश दिया गया था, “जो लोग देवताओं का पालन करते हैं वे मूर्ख हैं, जो लोग भगवान में विश्वास करते हैं उन्हें धोखा दिया गया है। इसलिए, भगवान की पूजा न करें।” उन्होंने कहा, ये बोर्ड पूरे तमिलनाडु में कई मंदिरों के बाहर लगाए गए थे।
भाजपा की प्रतिबद्धता की घोषणा करते हुए, अन्नामलाई ने कहा, “आज, श्रीरंगम की भूमि से, भाजपा आपसे वादा करती है कि जब हम सत्ता में आएंगे, तो हमारा पहला काम ऐसे ध्वज-स्तंभों को उखाड़ फेंकना होगा। इसके बजाय, हम अपने अलवर और नयनार की मूर्तियां स्थापित करेंगे। तमिल संत तिरुवल्लुवर की प्रतिमा भी लगाई जाएगी। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं का सम्मान किया जाएगा।”
इसके अलावा, अन्नामलाई ने भाजपा के सत्ता में आने पर हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) मंत्रालय को खत्म करने का वादा किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “जब हम सत्ता में आएंगे, तो कोई एचआर एंड सीई मंत्रालय नहीं होगा। एचआर एंड सीई का आखिरी दिन भाजपा सरकार का पहला दिन होगा।”
तमिलनाडु में अन्नामलाई के इस बयान पेरियार एक बार फिर से चर्चा के मुख्य केंद्र में आ गए हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी चीफ के बयान के इस मुद्दे पर विवाद बढ़ने की संभावना है।
पेरियार को ‘तमिल गौरव’ के नाम पर बनी पार्टियों का आधार माना जाता है। पेरियार को दलितों का नेता भी माना जाता है और तमिलनाडु में इस समुदाय की आबादी बहुत ज्यादा है। ब्राह्मणवाद के मुखर विरोधी पेरियार द्रविड़ और हिंदी विरोधी अभियान के भी प्रणेता थे। द्रविड़ आंदोलन के कारण ही तमिलनाडु में द्रमुक, अन्नाद्रमुक और एमडीएमके जैसे दलों का उदय हुआ। कांग्रेस को हाशिए पर धकेल कर आज ये दल राज्य में ज्यादा प्रभावशाली हैं। पेरियार के आह्वान पर ही हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को व्यापक पैमाने पर खंडित और जलाया गया था। वह दकियानूसी के भी प्रबल विरोधी थे।
कन्नड़ व्यवसायी के घर 1879 में पैदा हुए पेरियार शुरुआत में घरेलू व्यवसाय को संभाला था। राजनीतिक रुझान बढ़ने पर वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लेकिन, बाद में उन्हें महसूस हुआ कि कांग्रेस में ब्राह्मण समुदाय का बोलबाला है, जिसके कारण उन्होंने पार्टी की सदस्यता त्याग दी थी। कुछ वर्षों उपरांत उन्होंने ‘द्रविदर कझघम’ नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली थी। इसके जरिये उन्होंने तमिल गौरव को बढ़ावा दिया था। इसी के आधार पर तमिलनाडु में कई पार्टियों का गठन किया गया। पेरियार का दर्शन और काम ब्राह्मणवाद के खिलाफ रहा। वह मानते थे कि ब्राह्मण समुदाय धार्मिक सिद्धांतों और कर्मकांडों के बलबूते अन्य जातियों पर अपना दबदबा बनाए हुए है।
पेरियार हिंदू धर्म के प्रखर आलोचकों में से एक थे। वह इसे अंधविश्वासी मानते थे और तर्क-वितर्क को बढ़ावा देते थे। पेरियार तमिल के प्रख्यात संत तिरुवल्लुवर के एकल और निराकार ईश्वर के विचार को मानते थे। उनका कहना था कि ब्राह्मणों के अत्याचार से बचने के लिए निम्न तबके के लोग इस्लाम या ईसाई धर्म अपनाते हैं। पेरियार ने कहा था इस्लाम और ईसाई धर्म में हिंदू से बेहतर समाज का निर्माण किया गया है।