वायु प्रदूषण से बेहाल दिल्ली में बुधवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 460 रहा जबकि मंगलवार दोपहर एक्यूआई 455 था। वहीं, कल रात आनंद विहार में AQI अधिकतम स्तर 999 था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है। बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों ने बताया कि पिछले पांच-छह दिनों से आने वाले ज्यादातर मरीज खांसी, सर्दी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं के साथ आ रहे हैं।
पिछले हफ्ते दिल्ली का सबसे प्रदूषित क्षेत्र रहा है मुंडका। यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से अधिक के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। पश्चिमी दिल्ली के औद्योगिक इलाके मुंडका में 31 अक्टूबर से 6 नवंबर के बीच सात दिन का एक्यूआई औसत 446.43 दर्ज किया गया। जिसके बाद से यहां के मोहल्ला क्लीनिक के अंदर अब भीड़ बढ़ गई है।
क्लीनिक में अधिकांश मरीज पास की झुग्गी बस्ती से हैं, जिनके निवासी ज़्यादातर मुंडका औद्योगिक क्षेत्र में या रेहड़ी-पटरी वाले, रिक्शा चालक और घरेलू नौकर के रूप में काम करते हैं। अधिकांश वयस्कों के काम पर चले जाने के कारण, बहुत से बच्चे बिना किसी साथी के क्लिनिक में आ गए हैं। डॉक्टर के चैंबर के बाहर मरीजों की लंबी कतार है।
मोहल्ला क्लीनिक के डॉ नादर ने बताया, “ज्यादातर मरीज खांसी, जुकाम, बुखार और सांस लेने में तकलीफ की समस्या के साथ आ रहे हैं। पिछले पांच-छह दिनों से ऐसा ही है। इस क्लिनिक में आमतौर पर एक दिन में 80-100 मरीज़ आते हैं, अब हम लगभग 150-160 देख रहे हैं।” डॉ. नादर को एक हफ्ते पहले मुंडका के दिल्ली के एक दूसरे मोहल्ला क्लिनिक से इस क्लिनिक में स्थानांतरित किया गया था।
डॉक्टर ने आगे बताया, “हालांकि उनमें से कई सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और अस्थमा के मौजूदा मरीज हैं, हम अब उनकी स्थिति को बिगड़ते हुए देख रहे हैं। हम कई नए मरीज़ भी देख रहे हैं जो बुखार, खांसी, सर्दी और सांस लेने की समस्याओं के साथ आ रहे हैं।”
डॉ. नादर का कहना है कि वह बड़े पैमाने पर अपने मरीजों का इलाज कर रही हैं। उन्होंने कहा, “जिन लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है, हम उन्हें bronchodilators देते हैं। यह एक प्रकार की दवा है जो फेफड़ों की मांसपेशियों को आराम देकर और वायुमार्ग को चौड़ा करके सांस लेना आसान बनाती है,” वह बताती हैं कि उन्होंने पिछले हफ्ते 50 रोगियों को ब्रोन्कोडायलेटर्स निर्धारित किए हैं। उन्होंने कहा कि गंभीर मामलों को लगभग 10 किमी दूर संजय गांधी अस्पताल में रेफर किया जाता है।