पॉप्युलर एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना (Rashmika Mandanna) का डीपफेक वीडियो (Deepfake Video) पिछले कुछ दिनों से इंटरनेट पर वायरल है। वीडियो वायरल होते ही इस तरह के क्राइम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होने की मांग भी हो रही है। खुद केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने रश्मिका के डीपफेक वीडियो पर टिप्पणी कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को IT नियमों की याद दिलाई। और इस तरह के फोटो, वीडियो और ऑडियो कॉन्टेन्ट पर सख्त एक्शन लेने की बात कही। रश्मिका के वीडियो के बाद ‘Tiger 3’ अभिनेत्री कटरीना कैफ (Katrina Kaif) का भी एक वीडियो वायरल हुआ है।
रश्मिका के वीडियो के आने के बाद वरिष्ठ अभिनेता अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने भी सख्त कानूनी एक्शन लेने की मांग की। वहीं मिनस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड आईटी (MeitY) ने भी Facebook, Instagram और YouTube से ऐसे सभी गलत कॉन्टेन्ट को हटाने को कहा जिन्हें AI-Deepfake का इस्तेमाल करके बनाया गया है।
लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर Deepfake है क्या? डीपफेक कोई आज की बात नहीं है। COVID-19 लॉकडाउन के दौरान सुपरस्टार टॉम क्रूज (Tom Cruise) की तरह दिखने वाले मशहूर टिकटॉकर Miles Fisher ने भी पॉप्युलर स्टार के डीपफेक वीडियो बनाकर लाखों लोगों को पागल बनाया था। हम आपको बता रहे हैं उन पॉइन्ट्स के बारे में जिनसे आप यह जान सकते हैं कि आप किसी डीपफेक वीडियो को कैसे पहचान सकते हैं।
Spotting a deep fake
आंखों में देखकर (Look at the eyes)
2018 में पब्लिश हुई रिसर्च में दावा किया गया था कि डीपफेक फेस आम इंसानों की तरह ब्लिंक नहीं करते। हालांकि, मंदाना के वीडियो में उन्हें दो बार ब्लिंक करते देखा जा सकता है। लेकिन गौर से देखने पर पता चलता है कि आंखें अलग तरह से दिख रही हैं। इसके अलावा करीब से देखने पर खुलाा होता है कि आंखों में काफी-कुछ अलग है।
होठों पर ध्यान से गौर करना (Read the lips)
अक्सर खराब क्वॉलिटी के डीपफेक को खराब लिप-सिंकिंग के चलते पहचानना आसान होता है। इनमें ऑडियो के हिसाब से लिप्स मूव होते हैं। DeepFake वीडियो में कुछ अंतर साफ देखा जा सकता है।
त्वचा (Skin)
वीडियो में आप असली व्यक्ति की स्किन टोन को फेक से बदला जा सकता है। आमतौर पर डीपफेक वीडियो में स्किन पर कोई दाग-धब्बे दिखते हैं और यहां तक कि स्किन टोन पैची भी हो सकती है।
बाल और दांत (The hair, teeth)
आमतौर पर डीप फेक सॉफ्टवेयर के लिए बालों से जुड़ी महीन डिटेल को रेंडर करना मुश्किल हो जाता है। अगर आप बारीकी से बालों के फ्रिंज देखें तो आप वीडियो को डिकोड कर सकते हैं। कई बार, दांतों से भी डीपफेक वीडियो की पहचान कर सकते हैं क्योंकि वीडियो में ये नेचुरल नहीं दिखते।
ज्वेलरी को ध्यान से देखें
अगर डीपफेक वीडियो में कोई व्यक्ति ज्वेलरी पहना है तो इस बात का चांस कई गुना ज्यादा होता है कि लाइटिंग इफेक्ट के चलते ये ठीक ना दिखें।
डीपफेक एक प्रोग्राम है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही एक तरीका है और इसे डीप लर्निंग के नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल फेक इमेज और वीडियो बनाने में किया जाता है। डीपफेक टेक्नोलॉजी के साथ कोई व्यक्ति, किसी राजनेता, सेलिब्रिटी और पॉप्युलर एथलीट को गलत तरीका से दिखा सकता है। डीपफेक के जरिए कोई यूजर अपने फेवरिट स्टार को अपनी धुन पर नचा सकता है।
डीपफेक वह सिंथेटिक मीडिया है जिसका इस्तेमाल AI की मदद से फोटो, वीडियो और ऑडियो के आर्टिफिशियल प्रोडक्शन, मोडिफिकेशन और मैनिपुलेशन के लिए किया जाता है। यह टेक्नोलॉजी कई फील्ड जैसे मूवी के लिए विजुअल इफेक्ट में, किसी सर्विस में अवतार क्रिएट करने के लिए Augmented Reality में, सोशल मीडिया एक्टिविटी, एजुकेशन आदि में इस्तेमाल की जाती है। लेकिन दुखद यह है कि इनका इस्तेमाल अधिकतर पॉलिकटल मिसइन्फोर्मेशन, रिवेंज पोर्न, फेक सेलिब्रिटी और ग्राहकों को लुभाकर फ्रॉड करने में किया जाता है।
एल्गोरिद्म दो चेहरों के बीच समानता को ट्रेस करती है और फिर उनके कॉमन फीचर्स को एक साथ लाती है। दोनों फेस पर फिर अलग-अलग डिकोडर के सेट ट्रेन किए जाते हैं। डीपफेक क्रिएट करने के लिए, क्रिएटर को फिर चेहरे स्वैप करने की जरूरत होती है। साफ शब्दों में कहें तो X व्यक्ति की कंप्रेस्ड इमेज को Y व्यक्ति द्वारा ट्रेन किए गए डीकोडर में फेड कर दिया जाता है। इसके बाद डिकोडर Y के एक्सप्रेशन के आधार पर X का फेस रीस्ट्रक्चर यानी बना देता है।
डीपफेक को एकदम असली जैसा बनाने के लिए इसके बाद फ्रेम बाय फ्रेम इसी प्रोसेस को दोहराना पड़ता है। इसके अलावा जेनरेटिव एडवर्सरियल नेटवर्क या Gan भी एक तरीका है जिसके साथ डीपफेक क्रिएट किया जाता है। इस तरीके में रिजल्ट को प्रोड्यूस करने के लिए दो AI एल्गोरिद्म का इस्तेमाल किया जाता है।