शनि ग्रह के सुंदर छल्ले गायब होने वाले हैं। 2025 तक पृथ्वी से इनका दीदार करना मुश्किल हो जाएगा। चलिए बताते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है। असल में ऐसा ग्रह के झुकाव के कारण पैदा होने वाले ऑप्टिकल भ्रम की वजह से होगा। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये छल्ले 2025 तक पूरी तरह से गायब हो जाएंगे। हालांकि ये छल्ले 2032 में फिर वापस आ जाएंगे। तब शनि घूमेगा और अपने छल्लों के दूसरे हिस्से को दिखाएगा।
असल में ये छल्ले काफी पतले होते हैं और पृथ्वी के किनारे होते हैं तो लगभग गायब हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि छल्ले लगभग 100 मिलियन साल पुराने हैं। ये सौ मिलियन सालों के भीतर नष्ट भी हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ये छल्ले कई बर्फीले कणों और छोटे चट्टान के टुकड़ों से मिलकर बने होते हैं। इन्हें दूरबीनों के माध्यम से देखा जा सकता है। ये छल्ले खगोलविदों और अंतरिक्ष प्रेमियों को काफी आकर्षित करते हैं।
नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि शनि के छल्ले जल्द ही गायब होने वाले हैं। ये फेमस इंटरस्टेलर हुप्स 18 महीनों में पृथ्वी से दिखने गायब हो जाएंगे लेकिन शुक्र है कि यह सिर्फ एक ऑप्टिकल भ्रम है। दरअसल, शनि पृथ्वी के साथ पूर्ण संरेखण में नहीं है। फिलहाल इसका झुकाव 9 डिग्री के कोण पर है। 2024 में यह घटकर 3.7 डिग्री हो जाएगा।
Saturn’s stunning rings will disappear in 2025. It’s just an optical illusion caused by the planet turning edge-on with earth. While the rings are still technically there we will be facing their side, making it almost impossible to see them. #ScienceNews #news #science #space pic.twitter.com/TG2sc9nSGK
ग्रह का झुकाव वर्तमान में 9 डिग्री पर नीचे की ओर झुका हुआ है और 2024 में घटकर बमुश्किल दृश्यमान 3.7 डिग्री रह जाएगा। मार्च 2025 में कोण शून्य हो जाएगा। हालांकि हमें छल्लों के वापस आने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ग्रह फिर से घूमेगा और जिससे छल्लो का दूसरा साइड दिखाई देगा। इसका सबसे अच्छा प्रदर्शन 2032 में होगा जब झुकाव का कोण 27 डिग्री तक पहुंच जाएगा।
असल में शनि को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में 29.5 साल लगते हैं। जैसे ही शनि सूर्य की परिक्रमा करता है तो इसके छल्लों का कोण 27.3 डिग्री तक होता है। आखिरी बार छल्ले सितंबर 2009 में और उससे पहले 1996 में गायब हुए थे। दरअसल, शनि के छल्ले इतने पतले (अधिकतर 90 मीटर ) हैं कि जब वे पृथ्वी के किनारे पर होते हैं तो वे गायब होते दिखाई देते हैं। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि छल्ले तेजी से नष्ट हो रहे हैं। हो सकता है कि वे सौ मिलियन सालों के बाद गायब हो जाएं। हालांकि वैज्ञानिक अभी इस बारे में पता लगा रहे हैं।