तेलंगाना में 30 नवंबर को 119 सीटों पर चुनाव होने वाला है। इसके लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। रिपोर्ट के अनुसार, इस बार मुलुगु सीट पर लड़ाई दिलचस्प होने वालीा है। असल में कांग्रेस ने इस सीट पर 52 साल की दंसारी अनसूया को मैदान में उतारा है। वे सीथक्का नाम से मशहूर हैं। बता दें कि पिछली बार अनसूया का ही इस सीट पर कब्जा रहा। वहीं भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने उनके खिलाफ इस सीट पर 29 साल की ‘बड़े नागाज्योति’ को मैदान में उतारा है।
नागाज्योति पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। नागाज्योति का नाम सामने आते ही सियासी गलियारे में हलचल मच गई है। दरअसल, नागज्योति इस समय मुलुगु जिला प्रजा परिषद की अध्यक्ष हैं। वे दिवंगत माओवादी नेता बड़े नागेश्वर राव और पूर्व माओवादी राजेश्वरी की बेटी हैं। वोट के नजरिए से मुलुगु राज्य का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है। यहां आदिवासियों का वर्चस्व है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सीथक्का ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के उम्मीदवार अजमीरा चंदूलाल के खिलाफ 22,671 वोटों से जीत हासिल की थी। सीथक्का के बारे में कहा जाता है कि वे 14 साल की उम्र में ही जनशक्ति नक्सली समूह में शामिल हो गईं थीं। ग्यारह साल बाद 1997 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और वकालत करने लगीं। इसके बाद 2004 के विधानसभा चुनाव में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के उम्मीदवार के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की। उन्होंने पहली बार 2009 में मुलुगु विधानसभा सीट से चुनाव जीता। 2014 में तेलंगाना के गठन के बाद हुए चुनाव में वे तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की उम्मीदवार अजमीरा चंदूलाल से हार गईं। इसके तीन साल बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गईं और 2018 के चुनाव में जीत हांसिल की।
2022 में उस्मानिया विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में पीएचडी करने वाली सीथक्का का मानना है कि उन्हें तीसरी बार जीत मिलने वाली है। उन्होंने राज्य में कांग्रेस की लहर का दावा किया है। उनका कहना है कि बीआरएस शासन के 10 साल हो गए हैं और लोग कांग्रेस को चाहते हैं। हालांकि बीआरएस पैसे, शराब और फ्री में चीजें बांटकर वोट पाने की कोशिश कर रही है।
सीथक्का अपने निर्वाचन क्षेत्र में बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा मानती हैं। अपने बीआरएस कैंडिडेट को लेकर वे कहती हैं कि उम्मीदवार को छोड़िए पूरी सरकार मुझे निशाना बना रही है क्योंकि मैं हमेशा विधानसभा में सवाल उठाती रही हूं।’मुझे हराने के लिए विपक्ष के लोग सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। हालांकि बीआरएस द्वारा नागज्योति को चुनने पर वे भी हैरानी जता रही हैं। दोनों ही आदिवासी समुदाय से हैं।
हालांकि नागज्योति क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए किए उनकी पार्टी के काम को गिना रही हैं। नागज्योति का कहना है कि बीआरएस के प्रति लोगों की सकारात्मक भावना है। उनका कहना है “मेरे पिता ने 1990 के दशक में यहां के लोगों के लिए बहुत कुछ किया और लोग अब भी उन्हें याद करते हैं। वे चाहते तो विधायक बन सकते थे क्योंकि उनके पास राजनीतिक दलों से प्रस्ताव थे। मैंने लोगों की सेवा करने के लिए चुनावी लड़ने का फैसला किया है।” अब देखना है कि 3 दिसंबर को दोनों में से कौन चुनाव जीतता है।