कर्नाटक में कांग्रेस ने इस बार प्रचंड बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई है, एक ऐसा जनादेश हासिल किया जो उसे कई सालों बाद मिला। लेकिन उस जनादेश के बाद भी पार्टी के अंदर जारी सत्ता के लिए रस्साकशी कम नहीं हुई है। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के गुट एक दूसरे से समय-समय पर टकराते रहते हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के एक बयान फिर उस सियासी लड़ाई को सुर्खियों में ला दिया है। साफ संकेत दिया गया है कि वे ढ़ाई नहीं पांच साल तक सीएम बने रहने वाले हैं।
असल में कुछ दिन पहले एक बयान में सीएम ने कहा था कि हमारी सरकार पांच साल तक सत्ता में रहने वाली है। मैं मुख्यमंत्री हूं और आगे भी मुख्यमंत्री रहने वाला हूं। जिनको कोई मतलब नहीं है, वो ही लीडर बदलने की बात करते हैं। उन पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है। अब ये बयान मायने रखता है क्योंकि जिस समय सिद्धारमैया को सीएम बनाया गया था, ऐसा कहा गया कि वे ढाई साल तक कुर्सी संभालेंगे, वहीं बाद में सीएम पद डीके शिवकुमार को दे दिया जाएगा।
लेकिन पिछले कुछ दिनों का जो घटनाक्रम रहा है, उसने एक तरफ सिद्धारमैया को उम्मीद दी है और वहीं डीके को चिंता करने के कई कारण दे दिए हैं। यहां ये समझना जरूरी है कि कुछ दिन पहले तक सिद्धारमैया के करीबी माने जाने वाले Jarkiholi और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच में तगड़ी तकरार दिखी थी। असल में दशहा के वक्त अचानक से Jarkiholi अपने साथ 20 विधायकों को मैसूर ले गए थे जो सिद्धारमैया का गढ़ भी है। अब उस कदम की टाइमिंग सभी को हैरत में डाल दिया था क्योंकि डीके के समर्थक बार-बार कह रहे थे कि ढाई साल बाद उनके नेता सीएम पद की शपथ लेंगे।
ऐसे में सिद्धारमैया की ताकत का अहसास करवाने के लिए 20 विधायकों को साथ लाया गया। अब उस एक कदम की वजह से तल्खी तो बढ़ी ही, कांग्रेस हाईकमांड को भी हस्तक्षेप करना पड़ गया। अब उस वजह से वो विवाद तो कुछ ठंडा पड़ गया, लेकिन डीके शिवकुमार के लिए जो संकेत निकल आए वो ज्यादा सकारात्मक नहीं। असल में कांग्रेस इस समय देश में ओबीसी पॉलिटिक्स पर खासा जोर दे रही है। वो जातिगत जनगणना का मुद्दा भी इसी वजह से उठा रही है। अब सिद्धारमैया खुद ओबीसी के एक बड़े नेता हैं, ऐसे में उन्हें खुश रख पूरे समाज को बड़ा संदेश देने का काम किया जा सकता है।
खबर तो ये भी है कि आने वाले समय में कांग्रेस कर्नाटक में एक नहीं तीन-तीन डिप्टी सीएम रख सकती है। जातियों को साधने और सभी को साथ लेकर चलने के चक्कर में पार्टी डीके शिवकुमार की एक और डिमांड को खारिज कर सकती है। असल में जब डीके शिवकुमार को सीएम पद नहीं मिला, उनकी तरफ से साफ कहा जा चुका था कि वे अकेले ही डिप्टी सीएम के पद पर रहेंगे। लेकिन स्थिति देखकर माना जा रहा है कि आने वाले समय में शायद ये फायदा भी उनसे छीन जाए। मजे की बात ये है कि कुछ दिन पहले ही जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने डीके शिवकुमार को ऑफर दिया है कि अगर वे सीएम बन जाएंगे तो उनके 20 विधायकों का समर्थन उन्हें मिल जाएगा। यानी कि कर्नाटक की सियासत में कई उतार-चढ़ाव आने वाले हैं।