भारत ने एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति लाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) कई केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के परामर्श से एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति बना रहा है। इसके लिए कैबिनेट की अंतिम मंजूरी भी मांगी जाएगी।
यह पहली बार है कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति लेकर आएगा। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियां प्रकाशित की हैं जिन्हें समय-समय पर अपडेट किया जाता है। इस दस्तावेज़ का उद्देश्य भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों और उन्हें प्राप्त करने या साकार करने के लिए अपनाए जाने वाले तरीकों को एक साथ रखना है।
पिछले कुछ महीनों में कई मंत्रालयों ने दस्तावेज़ के लिए भारत के सामने आने वाली चुनौतियों और खतरों पर इनपुट प्रदान किए हैं, जिनमें गैर-पारंपरिक चुनौतियां जैसे वित्तीय और आर्थिक सुरक्षा, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, इनफार्मेशन वार, भारत की महत्वपूर्ण जानकारी में कमजोरियां शामिल हैं। संबंधित मंत्रालयों के मंत्री भी इस प्रक्रिया में शामिल होंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विभिन्न पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों की कठिन प्रकृति को देखते हुए यह महसूस किया गया कि एक राष्ट्रीय मसौदा तैयार करने की तत्काल आवश्यकता है। यह देश की व्यापक राष्ट्रीय शक्ति से प्रेरित होगा।
अधिकारी ने कहा, “इसके लिए संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। कई केंद्रीय मंत्रालयों और अन्य हितधारकों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं, कमजोरियों और खतरों और उन्हें दूर करने के तरीकों के लिए अपनी भूमिकाएं तय कर दी हैं। कुछ पहलुओं की गोपनीय प्रकृति को देखते हुए रणनीति की सटीक रूपरेखा मसौदे का हिस्सा होगी।”
एक बार तैयार हो जाने पर आधिकारिक दस्तावेज़ सार्वजनिक कर दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि उभरती स्थितियों और नए खतरे के आकलन के आधार पर इसे नियमित रूप से अपडेट किया जाएगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि रणनीति में नागरिक समाज संगठनों, शिक्षाविदों, मीडिया, थिंक टैंक और अन्य संस्थानों जैसे डोमेन में पहचाने जाने वाले कई गैर-पारंपरिक खतरों और कमजोरियों से निपटने के लिए अन्य हितधारकों को शामिल किया जा सकता है।
व्यापक दस्तावेज़ भारत के लिए अद्वितीय चुनौतियों और खतरों को एक साथ रखेगा और तत्काल और निकट भविष्य में उनसे निपटने के लिए रणनीति तैयार करेगा। इसमें मौजूदा आंतरिक और वैश्विक स्थिति को ध्यान में रखते हुए संसाधनों का भी ध्यान दिया जायेगा।