बेंगलुरु में जीका वायरस को लेकर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट हो गया है। असल में अगस्त महीने में कुछ नमूनों को जांच के लिए भेजा गया था, तब चिक्काबल्लापुर जिले के एक मच्छर में इस वायरस की पुष्टि हुई। इसकी एक रिपोर्ट तो 25 अक्टूबर को ही सामने आई है। उस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ही टालकेबेटा के 5 किलोमीटर के दायरे में प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है।
बताया जा रहा है कि राज्य भर से कुल 100 सैंपल जांच के लिए लिए थे, वहां भी जिस चिक्काबल्लापुर जिले में जीका वायरस का मच्छर मिला था, उधर से 6 सैंपलों की जांच की गई। अब उन सैंपलों में से पांच निगेटिव तो एक पॉजिटिव निकला है। बड़ी बात ये है कि जांच के लिए 30 गर्भवती महिलाओं का सैंपल भी दिया गया है। अब प्रशासन जीका वायरस को लेकर इतना ज्यादा सतर्क इसलिए है क्योंकि डॉक्टरों के मुताबिक ये एक गंभीर बीमारी है जिसमें अगर समय रहते इलाज ना मिले तो कई तरह के परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
जीका वायरस मुख्य रूप से मच्छरों के काटने से फैलता है। जहां जीका के मरीज मौजूद हैं वहां जाना खतरनाक साबित हो सकता है। यह वायरस गर्भवती महिला से उसके बच्चे तक औऱ यौन संपर्क से भी फैल सकता है। इसके लक्षण दिखने पर सबसे पहले पानी औऱ अन्य पेय पदार्थ ज्यादा पीने की सलाह दी जाती है। इससे बचने के लिए मच्छरों से बचना बहुत जरूरी है।
शुरुआत में लक्षण बहुत ज्यादा नहीं दिखायी देते हैं। बुखार आना, रेशेज पड़ना, शरीर में दर्द, सिरदर्द और उल्टी जैसे लक्षण इस बीमारी में शामिल होते हैं। गर्भवती महिलाओं को इस वायरस से सबसे ज्यादा खतरा होता है। यह वायरस भ्रूण में भी जा सकता है जिससे मस्तिष्क दोष हो सकता है।