पिछले कुछ हफ़्तों से महुआ मोइत्रा प्रकरण छाया हुआ है। वहीं इस बीच एक नाम चर्चा में बना हुआ है वो है विनोद सोनकर का। विनोद सोनकर लोकसभा आचार समिति के अध्यक्ष हैं। बीजेपी सांसद विनोद सोनकर को जानने वालों का कहना है कि अपने पूरे करियर के दौरान वह सक्रिय रूप से विवादों से दूर रहे हैं। लेकिन गुरुवार को सबकी नजर विनोद सोनकर पर थी जब तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा ने उन पर लोकसभा आचार समिति की सुनवाई के दौरान उनसे अमर्यादित सवाल पूछने का आरोप लगाया। महुआ ने कार्यवाही की तुलना आर्कस्ट्राड से की।
उत्तर प्रदेश के कौशांबी से सांसद सोनकर ने दावा किया है कि उनके सवाल महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी के आरोपों से संबंधित थे और कहा कि टीएमसी नेता ने लगातार सवालों के जवाब देने से बचने की कोशिश की। शुक्रवार को महुआ मोइत्रा की आलोचना करते हुए उन्होंने X पर पोस्ट किया, “महुआ मोइत्रा ने एथिक्स कमेटी की आंतरिक कार्यवाही पर मीडिया से खुलकर बात की जो पूरी तरह से गलत है। उन्होंने संसदीय कार्य प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है।”
अपने निर्वाचन क्षेत्र से लगभग 50 किमी दूर प्रयागराज में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के अनुसार 53 वर्षीय दलित नेता विनोद सोनकर ने 2014 में चुनावी राजनीति में प्रवेश करने से पहले व्यवसाय चलाया। इससे पहले वह बहुजन समाज पार्टी (BSP) से जुड़े थे लेकिन चुनाव टिकट नहीं मिला। एक भाजपा नेता ने कहा, “हालांकि उनके खिलाफ कुछ मामले हैं, लेकिन हमने उन्हें कभी भी सार्वजनिक रूप से कोई मजबूत विचार या राय व्यक्त करते नहीं सुना है। जहां तक हम जानते हैं, वह एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। राजनीति में प्रवेश करने से पहले उन्होंने अपने व्यवसाय (उनका व्यवसाय एक स्थानीय मंडी से जुड़ा हुआ था) से कुछ संपत्ति अर्जित की। उनकी जाति सोनकर है, जो उन्हें अनुसूचित जाति (एससी) की बड़ी आबादी वाले क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण बनाती है।”
कौशाम्बी में 2009 लोकसभा चुनाव में भाजपा के चौथे स्थान पर आने के पांच साल बाद विनोद सोनकर ने 2014 में पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव जीता। उन्होंने समाजवादी पार्टी (SP) के शैलेन्द्र कुमार को 40,000 वोटों से हराया था। 2015 में वह पार्टी की राज्य कार्यकारी समिति में शामिल हो गए और दिसंबर 2016 में उन्हें भाजपा के एससी मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
बीजेपी ने 2019 में विनोद सोनकर को फिर से कौशांबी से मैदान में उतारा और इस बार उन्होंने सपा उम्मीदवार इंद्रजीत सरोज को 41,000 से अधिक वोटों से हराया, जो कभी बसपा अध्यक्ष मायावती के करीबी माने जाते थे। विनोद सोनकर को इसी वर्ष उन्हें आचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसके बाद विनोद सोनकर बाद में पार्टी के राष्ट्रीय सचिव बने और उन्हें त्रिपुरा का प्रभार दिया गया। लेकिन इस साल की शुरुआत में संगठनात्मक फेरबदल में उन्हें पद से हटा दिया गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा चुनाव में कौशांबी संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाले सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा हार गई।
बाबागंज, कुंडा, चायल और मंझनपुर के अलावा पार्टी सिराथू सीट भी हार गई जहां से उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य मैदान में थे। उस समय कुछ स्थानीय भाजपा नेताओं ने क्षेत्र में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए आंतरिक गुटबाजी का आरोप लगाया था। एक बीजेपी नेता ने कहा, ”वह एक शांत कार्यकर्ता हैं और चूंकि वह बहुत मुखर नहीं हैं और विवादों से दूर रहते हैं, इसलिए लोग उनके बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं।”